‘जागदा पंजाब’ के संयोजक राकेश शान्तिदूत ने कहा- स्थानीय निकाय चुनावों को किसान आंदोलन से जोडक़र देखने की अपेक्षा स्थानीय विकास और ज़रूरतों की समीक्षा करके ही वोटर मतदान करें।
डेली संवाद, नवांशहर
पंजाब के संयुक्त हितों के ध्वजवाहक जनसंगठनों में शुमार ‘जागदा पंजाब’ के संयोजक राकेश शान्तिदूत ने प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए जारी चुनाव प्रचार में भाजपा के चुनाव कार्यालयों को बंद करवाए जाने और भाजपा नेताओं पर हो रहे हमलों की सख्त शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में ऐसी हरकतों की न तो कोई जगह है और न ही इसकी आज्ञा दी जा सकती है।
आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में शान्तिदूत ने कहा कि यह कृत्य करने वाले बेशक इसको किसान आंदोलन से जुड़ी भावनाओं के रूप में प्रकट करने का प्रयास कर रहे हो, परंतु लोकतांत्रिक प्रबंध में भावनाओं से ऊपर संवैधानिक मर्यादा है और इसका पालन लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
किसानों के आंदोलन के संवैधानिक अधिकार का समर्थन
श्री शान्तिदूत ने कहा कि समूचा पंजाब किसानों के आंदोलन के संवैधानिक अधिकार का समर्थन कर रहा है और जो किसान खुद अपने संवैधानिक अधिकार के लिए लड़ रहा है वह किसी दूसरे के चुनाव लडऩे या चुनाव प्रचार करने का विरोध कैसे कर सकता है। इसलिए प्रदेश सरकार को जांच पड़ताल करनी चाहिए कि उपरोक्त घटनाओं के पीछे कौन लोग है और उन्हें कैसे सजा दी जानी चाहिए।
‘जागदा पंजाब’ के संयोजक ने कहा कि नये केन्द्रीय कृषि कानूनों के प्रति किसानों की असहमति अलग विषय है और स्थानीय निकाय चुनाव का विषय अलग है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों को किसान आंदोलन से जोडक़र देखना स्थानीय निकाय संस्थाओं द्वारा अब तक किए गए विकास की समीक्षा करने से वोटर का ध्यान भटकाने की कोशिश लगता है।
प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है
शान्तिदूत ने कहा कि भाजपा के विरोधी हमलावर अपना विरोध इन चुनावों में मतदान के अपने अधिकार के माध्यम से भी कर सकते है। उन्होंने कहा कि यह लोग हमले और धक्केशाही करके वास्तव में किसान आंदोलन को ही कमजोर कर रहे हैं। शान्तिदूत ने कहा कि भाजपा नेताओं को इन घटनाओं पर टिप्पणी करते समय पंजाबियों की परस्पर सांझ इत्यादि को खतरे कहने से भी गुरेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक खींचतान है और इसे राजनीतिक तरीके से ही लेना चाहिए।
‘जगदा पंजाब’ के संयोजक ने कहा कि यह घटनाए प्रदेश में अमन एवं कानून व्यवस्था के मामले में प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह इन चुनावों में सभी पक्षों के लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भयमुक्त मतदान का मार्ग प्रशस्त करे।
शान्तिदूत ने वोटरों से भी अपील की कि वह निर्भय होकर स्थानीय विकास के लिए अपने पहले चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा निभाई गई जिम्मेवारी की समीक्षा करके ही अपनी सोच समझ के अनुसार वोट डाले। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों को किसान आंदोलन से जोडक़र देखने से मतदाता स्थानीय विकास पर जिम्मेवार लोगों की अब तक की कारगुजारी की समीक्षा करने से वंचित हो जाएंगे जोकि स्थानीय विकास और ज़रूरतों के नजरिये से ठीक नहीं होगा।
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