डेली संवाद ,चंडीगढ़। Brain-eating amoeba: सोशल मीडिया पर Brain-Eating Amoeba यानी ‘ दिमाग को खाने वाला अमीबा’ को लेकर चर्चा हो रही है। Brain-Eating Amoeba ट्रेंड कर रहा है क्योंकि इसके कारण केरल के अलप्पुझा (Alappuzha) में 15 साल के लड़के की मौत होने की बात सामने आ रही है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर Brain-Eating Amoeba है क्या?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC के मुताबिक, दिमाग खाने वाले अमीबा का नाम नाइग्रीलिया फॉलेरी (Naegleria Fowleri) है। ये पानी में मौजूद होता है और नाक के रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद दिमाग में पहुंचता है। धीरे-धीरे ये दिमाग की टिश्यू को नष्ट कर देता है और प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Primary Amebic Meningoencephalitis) की बीमारी पैदा कर देता है।
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PAM एक रेयर ब्रेन इंफेक्शन है। जैसे-जैसे ब्रेन में संक्रमण फैलता है, दिमाग में सूजन आने लगती है और स्थिति जानलेवा हो जाती है।अलप्पुझा जिले के जिस लड़के की मौत हुई है, वो ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ (पीएएम) से संक्रमित था। Brain-Eating Amoeba पहली बार 1965 में ऑस्ट्रेलिया में मिला था। तब से अब तक दुनियाभर में इसके 381 मामले सामने आ चुके हैं।
इनमें से 154 केस अकेले यूनाइटेड स्टेट्स में पाए गए हैं। CDC के मुताबिक अमेरिका में इससे संक्रमित हुए 154 लोगों में केवल चार लोग ही जिंदा बचे हैं।2022 में दक्षिण कोरिया में नाइग्रीलिया फॉलेरी का मामला सामने आ चुका है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और थाईलैंड में भी इससे जुड़े मामले सामने आ चुके हैं। आमतौर पर ब्रेन-ईटिंग अमीबा गर्म मीठे पानी वाली जगहों पर जैसे गर्म झरनों, नदियों और झीलों में पाया जाता है।
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ये 46 या इससे ज्यादा तापमान पर जीवित रह सकता है। ज्यादातर पानी में तैरते समय या गोता लगाते समय ये अमीबा लोगों को अपना शिकार बनाता है।इसके अलावा दूषित पानी के इस्तेमाल से भी इस संक्रमण के फैलने की संभावना होती है। ये नाक के रास्ते शरीर में घुसकर दिमाग में पहुंच जाता है। CDC के मुताबिक ये शरीर में पहुंचते ही संक्रमण फैलाना शुरू कर देता है। इसके लक्षण 1 दिन से लेकर 12 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं।
लक्षण
- बुखार
- सिर दर्द
- उल्टी
- दौरे पड़ना
- गर्दन में अकड़न
- तेज रोशनी बर्दाश्त न कर पाना
- चक्कर आना।