कोलकाता। बाबा रामदेव के आशीर्वाद लेकर गायक से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो (Babul supriyo retired to politics) ने राजनीति से आज सन्यास ले लिया है। स्वामी रामदेव की सिफारिश पर बाबुल सुप्रियो को आसनसोल (पश्चिम बंगाल) से भाजपा का टिकट मिला था। लगातार दूसरी बार चुनाव जीते थे। मंत्री भी बने। जिसके बाद बाबुल को लेकर चर्चा थी कि वे अब तृणमूल कांग्रेस में जाएंगे मगर अचानक शनिवार को राजनीति से संन्यास लेने का एलान बाबुल ने कर दिया है।
आपको बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद बाबुल ने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि उन्होंने 2014 में स्वामी रामदेव को फोन पर बात करते सुना था जब वे भाजपा में टिकट संबंधित बात कर रहे थे। तब उन्होंने रामदेव से टिकट दिलाने का आग्रह किया था, जिसके बाद में रामदेव उनकी सिफारिश की थी। जिस पर उनको टिकट मिल गया था।
सियासत में आकर सामाजिक कार्य करना संभव नहीं रह गया
बाबुल सुप्रियो ने कहा है कि राजनीति में रहना और सामाजिक कार्य करना संभव नहीं है। मुझे अपने आप को व्यवस्थित करने दीजिये। पिछले कुछ दिनों में, मैं अमित शाह और जेपी नड्डा जी के पास गया हूं, मैंने उन्हें वही बताया है जो मुझे लगता है। बाबुल ने कहा कि मैं उनके प्यार को कभी नहीं भूलूंगा और इसलिए मैं उनके पास नहीं जा सकता, मेरे पास उनके पास जाने और यह कहने की हिम्मत नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैंने तय कर लिया है कि मैं क्या करूंगा; मैंने बहुत पहले ही फैसला कर लिया था कि अगर मैं अभी जाऊं तो वे महसूस कर सकते हैं कि मैं सौदेबाजी कर रहा हूं। मैं केवल प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे गलत न समझें। (Babul supriyo retired to politics)
बंगाल में विस चुनाव हार गए थे सुप्रियो
भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, सुप्रियो ने नवंबर 2014 से जुलाई 2016 तक शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन राज्य मंत्री और जुलाई 2016 से भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यमों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। मई 2019 तक उन्होंने पर्यावरण राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। (Babul supriyo retired to politics)
पंजाब में भी लागू हो सकता है बंगाल का फार्मूला
पश्चिम बंगाल की तरफ ही भाजपा पंजाब में भी अपने मंत्रियों को चुनाव लड़ा सकती है। पंजाब में अगले साल चुनाव है। आपको बता दें कि भाजपा इस बार अकेले चुनाव लड़ने जा रही है। इससे पहले भाजपा अकाली दल मिलकर चुनाव लड़ते आए हैं। लेकिन कृषि बिल को लेकर अकाली दल ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। भाजपा ने पहले ही दलित कार्ड खेलते हुए दलित सीएम बनाने का फैसला किया है।
इस लिहाज से भाजपा पंजाब के दलित नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश, एससी आयोग के चेयरमैन विजय सांपला समेत अन्य दलितों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। बाबुल सुप्रीयो भी केंद्र में मंत्री थे, भाजपा ने उन्हें बंगाल विधानसभा चुनाव के मौदान में उतारा था, लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद बाबुल पर पद छोड़ने का बड़ा दबाव था। जिससे अब उन्होंने राजनीति से ही सन्यास ले लिया।