चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस नेताओं के आपसी विवादों को समझने और उनकी बात सुनने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व के खिलाफ कोई सिफारिश नहीं की है। हालांकि 20 नेताओं को कैप्टन के खिलाफ बताया गया है। समिति के सुझाव कैप्टन की कथित मनमानी पर अंकुश लगाने और संतुलन बनाए जाने की आवश्यकता बता रहे हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में जयप्रकाश अग्रवाल और प्रभारी हरीश रावत की समिति ने प्रदेश के सौ से अधिक नेताओं से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। समिति ने रिपोर्ट में कैप्टन की खिलाफत करने वाले करीब 20 नेताओं का जिक्र कर पार्टी में संतुलन की आवश्यकता बताई है। वहीं समिति के सदस्यों ने राज्य में किसी गुट विशेष या गुटबाजी से इनकार किया है। समिति के पास अलग-अलग नेताओं ने अपनी शिकायत दर्ज कराई लिहाजा उसका समाधान भी व्यक्तिगत स्तर पर किए जाने का सुझाव दिया है।
असंतुष्ट करीब बीस नेताओं में आठ विधायक भी शामिल
कैप्टन से असंतुष्ट करीब बीस नेताओं में आठ विधायक भी शामिल बताए जा रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव हारने वाले कुछ उम्मीदवारों ने कैप्टन के चलते अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता जताई है। नवजोत सिंह सिद्धू और प्रताप सिंह बाजवा जैसे कुछ अन्य नेता जो लंबे समय से कैप्टन के खिलाफ मुखर हैं, उन्हें एक टेबल पर लाकर गिले शिकवे दूर कराकर पार्टी नेतृत्व भरोसे में ले सकता है। सिद्धू लगातार कह भी रहे हैं कि नेतृत्व जो भी फैसला लेगा मंजूर होगा, इसलिए कुछ वरिष्ठ नेताओं को लेकर नेतृत्व ही हस्तक्षेप कर कोई फार्मूला निकालेगा।
समिति भले ही कैप्टन को राज्य का वरिष्ठ और अगले विधानसभा चुनाव का नेतृत्वकर्ता मान रहा है लेकिन नया नेतृत्व तैयार करने को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं। समिति ने विधानसभा चुनाव में सामूहिकता दिखाई देने पर भी जोर दिया है। चुनाव से संबंधित समितियों में राज्य के अन्य कद्दावर नेताओं को उनकी योग्यता के तहत जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया गया है।