नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा पर पंजाब के मुट्ठी भर किसान भले ही कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर जुटे हो, लेकिन सच तो ये है कि आजादी के बाद पहली बार पंजाब के किसानों की गेंहू की बिक्री का पैसा उनके बैंक खातों में बिना किसी देरी के पहुंच रहा है। बार-बार यही आरोप लगता रहा कि किसान आंदोलन की अगुवाई वही कर रहे हैं जो पंजाब के अमीर आढतिए हैं और वही तय करते हैं कि किसान को कीमत क्या मिलेगी और कब मिलेगी, लेकिन केन्द्र सरकार ने एक देश, एक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मुल्य) और एक डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफीट ट्रांसफर) के मिशन के तहत 2021-22 में रबी फसल के लिए पंजाब के किसानों को एमएसपी के तहत सीधा बैंकों में पैसा ट्रांसफर करना शुरु किया है।
सरकारी आंकड़ों की माने तो लगभग 21 लाख से ज्यादा किसानों को इसका फायदा हो चुका है और लगभग 8180 करोड़ रुपये पंजाब के किसानों के खातों में सीधे भेजे गए हैं. वाकई एक लंबे अंतराल के बाद पंजाब और हरियाणा के किसानों को अपनी फसल के लिए अपने खाते में सरकार से सीधा पैसा मिला है।
ये साल बदलाव के लिए सुनहरे अक्षरों में याद रखा जाएगा
ये साल बदलाव के लिए सुनहरे अक्षरों में याद रखा जाएगा क्योंकि पंजाब और हरियाणा के किसान इस साल पहली बार बिना किसी बिचौलिए के माध्यम से पैसा नहीं पाते हुए अपने फसल की कीमत सीधा अपने ही खाते में पा रहा है. ये बदलाव हुआ है भारत सरकार के आदेश के बाद जिसमें उन्होंने खरीद में लगी तमाम एजेंसियों को निर्देश दिया था कि जो किसान खेतों में अपना खून-पसीना बहा रहा है उसे अपनी फसल की न तो कम कीमत मिले और न ही इसे कीमत मिलने मे कोई देरी हो।
केन्द्र सरकार की एजेंसी भरतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई और दूसरी एजेंसियों ने पंजाब, हरियाणा, यूपी, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान औग दूसरे राज्यों से अब तक 222.33 लाख मेट्रीक टन गेहूं खरीदा है. ये आंकड़े 25 अप्रैल तक के हैं, जबकि पिछले साल इतने समय में 77.57 लाख मेट्रीक टन गेहूं केन्द्र सरकार ने खरीदा था।
पंजाब से सबसे ज्यादा 84.15 लाख मेट्रीक टन की खरीद
साल 2021-22 की खरीद में पंजाब से सबसे ज्यादा 84.15 लाख मेट्रीक टन की खरीद हो चुकी है जो कि पूरे देश का 37.8 फीसदी हिस्सा है, जबकि हरियाणा से 71.76 लाख टन (32.27 फीसदी) और मध्यप्रदेश से 51.57 लाख मेट्रीक टन यानी 23.2 फीसदी की खरीद की जा चुकी है. इसी खरीद में 25 अप्रैल तक पंजाब के किसानों के खाते में 8180 करोड़ और हरियाणा के किसानों के खाते में सीधा 4668 करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं।
जब तक किसान आंदोलन चलता रहा और किसान अड़े रहे कि वो तभी वापस जाएंगे जब कृषि बिल सरकार वापस लेगी. बात बनी नहीं और गतिरोध आज भी बना हुआ है, लेकिन जो बात सरकार तब कह रही थी कि पंजाब में किसानों को एमएसपी का सीधा फायदा नहीं मिलता, उस तंत्र को बदलने की कोशिश मे सरकार लग गई है. अब केन्द्र सरकार और उसकी एजेंसियों ने बिचौलियों को छोड़ सीधा किसानों के खाते में खरीद का पैसा ट्रांसफर करने की शुरुआत कर दी है और उन्हें भरोसा ये है की ये बदलाव रंग लाएगा।
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