काबुल। अफगानिस्तान में चुनावी हिंसा के कारण करीब 65 लोग मारे गए हैं और 125 अन्य घायल हुए हैं। शनिवार को देश में हुए चुनाव के दौरान तालीबान द्वारा 193 मतदान केंद्रों पर गए गए हमलों में 27 नागरिक, 9 सुरक्षाबलों और 31 विद्रोहियों की मौत हो गई। कई मतदान केंद्र घंटों देरी से खुले जिससे अफरा-तफरी पैदा हो गई। तकनीकी गड़बड़ी और कर्मचारियों की कमी के कारण मतदान देरी से शुरू हुआ।
निचले सदन की 250 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 2,566 उम्मीदवार मैदान में हैं. महिलाओं के लिए 40 से ज़्यादा सीटें आरक्षित हैं. लेकिन जिन महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा वोट मिलेंगे वो भी संसद के लिए चुनी जाएंगी. यानी महिलाओं की संख्या 40 से ज़्यादा भी हो सकती है. इस बार अफ़ग़ानिस्तान के सिख और हिंदू समुदाय के लिए भी एक सीट रिज़र्व की गई है। ये पहला मौका है जब अफ़ग़ानिस्तान के निचले सदन में सिख और हिंदू समुदाय का एक प्रतिनिधि मौजूद होगा।
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खबरों के अनुसार काबुल के एक मतदान केंद्र पर एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। इस घटना में कम से कम 15 लोग मारे गए और 20 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी में हिंसा की विभिन्न घटनाओं में मरने वालों की संख्या 19 हो गई है और करीब 100 लोग घायल हुए हैं। इस हमले की जिम्मेवारी अभी तक किसी ने नहीं ली है, लेकिन तालिबान पहले ही दावा कर चुका है कि चुनाव के दौरान उसने देश भर में 300 हमले किए हैं।
उत्तरी शहर कुंदुज में हिंसा के कारण मतदान बाधित हुआ। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि यहां तीन लोग मारे गए और 39 अन्य घायल हुए हैं। प्रांत की राजधानी पर राकेट से 20 हमले हुए हैं। स्वतंत्र चुनाव आयोग (आइईसी) के निदेशक मोहम्मद रसूल उमर ने बताया कि कुंदुज से कई किलोमीटर दूर एक मतदान केंद्र पर तालिबान के हमले में आइईसी का एक कर्मचारी मारा गया और कई अन्य लापता हैं। हमले में बैलेट बॉक्स तबाह हो गए। नानगरहार प्रांत में आठ धमाके हुए। प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता ने बताया कि दो लोग मारे गए हैं और पांच अन्य घायल हुए हैं।
प्रारंभिक आंकड़ों में बताया गया है कि 27 प्रांतों के चुनाव में मतदान केंद्रों पर 15 लाख मतदाता जुटे। चुनाव आयोजकों ने बताया कि कई मतदाता घंटों तक प्रतीक्षा करते रहे। अधिकांश मतदान केंद्र प्रक्रिया की देखरेख करने के लिए नियुक्त शिक्षकों के विफल रहने के कारण देरी से खुले। चुनाव आयोग ने कहा है कि 371 मतदान केंद्रों पर रविवार तक मतदान बढ़ाया जा सकता है। प्रारंभिक चुनाव तीन वर्ष देरी से हो रहा है। 2001 में तालिबान के पतन के बाद यह तीसरा चुनाव है।
पुलिस प्रमुख के मारे जाने से पड़ा असर
कंधार में गुरुवार को हुए हमले में पुलिस प्रमुख के मारे जाने से सुरक्षा बलों का आत्मविश्वास डगमगा गया था। चुनाव से पहले सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। हमले के कारण कंधार में मतदान एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है। चुनाव लड़ रहे 2500 से ज्यादा प्रत्याशियों में से 10 की हत्या हो चुकी है। प्रारंभिक परिणाम 10 नवंबर को जारी किए जाएंगे।
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