डेली संवाद, जालंधर
पंजाब के जागरूकता समूहों में से एक जागदा पंजाब के संयोजक राकेश शान्तिदूत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पी एम केयर फंड में से प्रवासी मजदूरों की देख रेख के लिए उनके गृह प्रदेशो को 31सौ करोड़ रुपये की राशि मंजूर किये जाने का स्वागत करते हुए उनसे मांग की है कि वह इसी तरह पंजाब के खेत, भट्ठा एवं अन्य मज़दूरों की भी चिंता करें।
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यहां जारी एक विज्ञप्ति में श्री राकेश शान्तिदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय से उस वर्ग को भी संतोष हुआ होगा जो इस केयर फंड को लेकर कई प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे थे। शान्तिदूत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वह पंजाब के इस मजदूर वर्ग की आर्थिक और जीवन हालात की जमीनी जानकारी अवश्य प्राप्त करे जो देश के अन्न भंडार में सर्वाधिक योगदान देने वाले इस सूबे की रीढ़ की हड्डी है।
जनधन खातों में गरीबों की सीधी आर्थिक मदद की है
संस्था के संयोजक ने आगे कहा कि यह मजदूर अपने सूबे में भी प्रवासी मजदूरों जैसा जीवन ही व्यतीत कर रहें है और संकट की इस घड़ी में सूबा सरकार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से चरमराई हुई है इसलिए प्रधानमंत्री पंजाब के इन मजदूरों को भी उसी दृष्टि से देखें जिस से वह अन्य प्रदेशों के प्रवासी मजदूरों को देख रहे है। उन्होंने कहा कि मजदूर बस मजदूर है और उनकी कोई अन्य पहचान नही है और सुबावार उनकी स्थिति में भी कुछ विशेष अंतर नही है।
शान्तिदूत ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस प्रकार जनधन खातों में गरीबों की सीधी आर्थिक मदद की है उससे इस मामले में भ्रष्टाचार को लगाम लगी है । उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि इसी प्रकार मध्यम वर्ग की भी मदद होनी चाहिये। शान्तिदूत ने सुझाव दिया कि यदि दो सौ लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में से इस वर्ग को सीमित अवधि का ब्याज मुक्त या न्यूनतम ब्याज पर ऋण उपभोक्ता ऋण के रूप में सीधे खातों में डाल दिया जाए तो इससे इनको राहत मिल जायेगी और इकोनॉमी को भी गति मिलेगी।
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शान्तिदूत ने कहा कि अकेले उद्योगों को मदद से तब तक कोई लाभ नही है जब तक उपभोक्ता की खाली जेब में पैसा नही आता। ऐसा न होने से उत्पादों का भंडारण हो जाने से उद्योगों को भी ऋण वापिसी में कठिनाई होगी क्यों कि अभी कुछ माह तक एक्सपोर्ट बिज़नेस की संभावनाएं कोरोना संकट की वजह से कम हैं।
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