नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से मौनी अमवस्या की यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह तिथि चुपचाप मौन रहकर ऋषि मुनियों की तरह आचरण और स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही मौनी अमावस्या कहलाती है। बीमार व्यक्ति के स्वस्थ होने के बाद जरूरतमंद लोगों को पितरों के नाम से भोजन जरूर कराएं।
कुंडली के पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली मे यदि पितरदोष है तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है। इसीलिए इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है।
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मौनी अमावस्या पर ग्रहों का क्या विशेष संयोग है
- मौनी अमावस्या के पर्व पर मकर राशि में सूर्य चंद्रमा बुध की युति विशेष फलदाई होगी
- इसी दिन ही शनि अपनी मकर राशि मे भी प्रवेश करेंगे
- मौनी अमावस्या का अमृत के समान स्नान मकर राशि में सूर्य चंद्रमा बुध और शनि के होने से ही होगा
- इस दिन गुरु और केतु की युति धनु राशि मे होगी
- इस मौनी अमावस्या पर तीर्थ स्थलों पर स्नान करना विशेष फलदाई हो जाएगा
मौनी अमावस्या पर करें ये दिव्य प्रयोग
- सुबह के समय सूर्य उदय होने से पहले उठे और अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करें तथा साफ वस्त्र पहने
- एक साफ आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की तरफ मुँह करें और एक तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें
- लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का 3 माला जाप करें
- जाप के बाद लौटे के गंगाजल को सारे घर में छिड़क दें
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मौनी अमावस्या पर दान से होगा महाकल्याण
- मौनी अमावस्या पर हो सके तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान जरूर करें
- यदि संभव ना हो तो अपने स्नान के जल में एक चम्मच गंगाजल डालकर ही स्नान कर लें
- सुबह के समय कच्चे दूध में काला तिल जौ और गंगाजल मिश्री मिलाकर पीपल के पेड़ की जड़ में जरूर अर्पण करे
- पितरों के नाम से किसी गौशाला में गाय को चारा जरूर खिलाएं
- जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े/तिल के लड्डू/तिल का तेल/आंवला/दूध से बनी मिठाई सफेद कपड़े/फल सब्जियां तथा दवाई का दान जरूर करें
- हो सके तो किसी मंदिर में छोटे-छोटे दो पीपल के पौधे जरूर लगाएं