डेली संवाद, नई दिल्ली। Farmer Protest: किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन में पंधेर ने कहा कि हमारे बारे में एक धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है। हम यहां सरकार के साथ टकराव के लिए नहीं आए हैं।
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पंधेर ने कहा कि हम इस देश के किसान हैं, हम लड़ाई नहीं करते। हम एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग करते हैं, जिसे आपने स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने कहा कि हम MSP कानून पर कायम हैं। सराकर MSP कानून लागू करे। पीएम मोदी बड़ा दिल दिखाएं। हम बातचीत के लिए तैयार थे, तैयार हैं। सरकार आंदोलन को बदनाम कर रही है। हम टकराव नहीं चाहते। किसी राजनीतिक पार्टी से हमारा लेना-देना नहीं है।
पंधेर ने किया दावा कि
पंधेर ने दावा किया कि लगभग 10,000 किसान शंभू सीमा पर डटे हुए हैं। किसान यहां शांतिपूर्ण स्थिति बनाए हुए हैं लेकिन हमारे खिलाफ ड्रोन के जरिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती।
एक ही दिन में शंभू व खन्नौरी के बार्डरों पर 60 के करीब किसान घायल हुए
पंधेर ने कहा कि यह भारतीय इतिहास का एक काला दिन है। किसानों के खिलाफ आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया… हम यहां स्पीकर लगा रहे हैं और अपना कार्यक्रम फिर से शुरू करेंगे। पंधेर ने कहा कि दिल्ली जाना किसानों की अनख का सवाल नहीं है, उनका मनोरथ तो केवल मांगें मनवाना है।
इसलिए केंद्र या तो बैठकर किसानों की मांगें पूरा कर दे या फिर उन्हें दिल्ली जाने दे। ऐसा करने की बजाय केंद्र सरकार उन पर अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रही है। किसानों को रोकने के लिए बार्डरों पर बीएसएफ व आरपीएफ तैनात कर दी है। किसानों पर एसएलआर के फायर, प्लास्टिक व रबड़ की गोलियां दागने के साथ-साथ ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले फेंकें जा रहे हैं।
जिससे मंगलवार को एक ही दिन में शंभू व खन्नौरी के बार्डरों पर 60 के करीब किसान घायल हो गए। जिन्हें राजपुरा व पटियाला के अस्पतालों में दाखिल कराया गया है। इसके अलावा कुछ किसानों को गिरफ्तार भी किया है, जिनकी गिनती के बारे में अभी पक्की जानकारी नहीं है।
पंधेर ने आगे कहा कि किसानों को केंद्र पहले ही बदनाम करने की तैयारी में है। मीडिया में खबरें आ रही हैं कि आंसू गैस छोड़ने के जवाब में किसानों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की। किसान नेता ने कहा कि एक-दो जगह ऐसा हो सकता है, लेकिन किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। क्योंकि उन्हें पता है कि अगर आंदोलन शांतिमय ढंग से चलेगा, तो किसानों की जीत तय है।
पंधेर ने अनुराग ठाकुर की भी निंदा की
किसानों पर खालिस्तानी, प्रो कांग्रेस व प्रो पंजाब सरकार होने के लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हुए पंधेर ने कहा कि केंद्र उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए किसानों की छवि को खराब कर रही है। पंधेर ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसानों की मांगें तो बढ़ती जा रही हैं।
पंधेर ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का मोदी सरकार ने पिछले आंदोलन में वादा किया था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया है। किसानों की कोई नई मांग नहीं है। किसान की मांगों में खेतीबाड़ी को पॉल्यूशन एक्ट से बाहर लाना, किसानों व मजदूरों की कर्जा माफी और बिजली संशोधन एक्ट को वापस शामिल है। केंद्र जब तक यह मांगें नहीं मानेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि
उधर, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि “किसान संगठनों को ये समझना होगा कि जिस कानून की बात की जा रही है। उस कानून के बारे में इस तरीके से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता, जिससे बाद के दिनों में सबके लिए बगैर सोची समझी स्थिति के बार में लोग आलोचना करें। हमें ये कोशिश करनी चाहिए हम इसके सभी पक्षों का ध्यान रखें। किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि आम जनजीवन को बाधित ना करें, आम जनजीवन किसी तरह से परेशान ना हो।
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हरियाणा के अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों के अधिकार क्षेत्र में वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर प्रदान की जाने वाली मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, बल्क SMS और सभी डोंगल सेवाएं आदि 15 फरवरी तक निलंबित रहेंगी।