डेली संवाद, नई दिल्ली। Same Sex Marriage: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। सीजेआई ने कहा कि कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर सकता है, कानून नहीं बना सकता। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने का भी आदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि अगर अदालत LGBTQIA+ समुदाय के सदस्यों को शादी का अधिकार देने के लिए विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 को पढ़ती है या उसमें कुछ शब्द जोड़ती है, तो यह विधायी क्षेत्र में प्रवेश हो जाएगा। कोर्ट का कहना है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।
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सीजेआई ने केंद्र सरकार को एक कमेटी बनाने का भी निर्देश दिया है। केंद्र सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी राशन कार्ड में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।
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सेम सेक्स मैरिज का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 21 याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था।