डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: कट्टर ईमानदार सरकार में अगर आपको सरकारी धन की बर्बादी देखनी है तो आप सीधे जालंधर नगर निगम मुख्यालय चले आईए। यहां पहली मंजिल पर एक नेम प्लेट लगी है, जिस पर लिखा है- अभिजीत कपलीश, IAS, कमिश्नर नगर निगम। इस पट्टी के पीछे का सारा दफ्तर खंडहर में तब्दील कर दिया गया, हालांकि एक हफ्ते पहले यह दफ्तर शानदार तरीके से चमचमा रहा था।
उधर, जालंधर नगर निगम का हाल बुरा है। यहां 10 जून हो गए हैं, लेकिन अभी तक न तो मुलाजिमों को कोई सैलरी मिली है और न ही अधिकारियों के वेतन जारी हो सके हैं। हैरानी की बात तो यह है कि निगम मुलाजिमों को भले ही वेतन नहीं मिल रहा है, लेकिन ठेकेदारों और चंडीगढ़ में बैठे वकीलों को समय से पहले करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है।
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नगर निगम के मुलाजिम अब ये सवाल भी उठाने लगे हैं, कि जब समय से वेतन नहीं मिल पा रहा है तो निगम कमिश्नर अभिजीत कपलीश अपने दफ्तर को संवारने के नाम पर लाखों रुपए क्यों खर्च कर रहे हैं। जबकि इसी दफ्तर को दो साल पहले लाखों रुपए खर्च कर संवारा गया था।
ठेकेदारों औऱ वकीलों को समय से भुगतान
मुलाजिम ये भी सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर ठेकेदारों और चंडीगढ़ में वकीलों को समय से पहले क्यों भुगतान किया जा रहा है। नियमानुसार सबसे पहले समय से मुलाजिमों को वेतन मिलना चाहिए, इसके बाद ठेकेदारों और वकीलों को भुगतान होना चाहिए। इस सबके बीच जो सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर दो साल पहले लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए दफ्तर को कमिश्नर ने खंडहर क्यों बना दिया?
नगर निगम के मुलाजिमों के वेतन न मिलने से निगम यूनियन खासा नाराज हैं। यही नहीं, निगम अधिकारियों द्वारा बिना किसी जांच और वेरीफेकिशन के ठेकेदारों को करोड़ों रुपए भुगतान के मसले पर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने भी सवाल खड़ा किया था, तब अधिकारियों ने यह झांसा दिया कि अगर ठेकेदारों को भुगतान नहीं करेंगे तो विकास काम नहीं होगा।
दो साल पहले लाखों रुपए बने दफ्तर को तुड़वा दिया
नगर निगम के पहली मंजिल पर मेयर, कमिश्नर और बड़े अफसरों के दफ्तर हैं। दो साल पहले लाखों रुपए खर्च कर इनके दफ्तरों को संवारा गया था। लेकिन अचानक निगम कमिश्नर ने अपने दफ्तर को फिर से तुड़वा दिया। हाल यह है कि दो साल पहले लाखों रुपए खर्च कर सोफा, कुर्सी, टेबल और अन्य सामान खरीदे गए, इन सभी को दफ्तर से हटाया भी नहीं गया और सारा मलबा इसी पर गिराया गया। जिससे लाखों रुपए की बर्बादी की गई।
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अब निगम कमिश्नर के दफ्तर के लिए लाखों रुपए से महंगे फर्नीचर खरीदने की भी तैयारी है। इसे लेकर चहेते ठेकेदारों को काम सौंपा भी जा चुका है। यानि जो काम कांग्रेस सरकार के समय चल रहा था, वही काम आम आदमी पार्टी की सरकार में हो रहा है। सरकारी धन का दुरुपयोग देखना है तो निगम के कमिश्नर दफ्तर को जरूर देंखे।
इधर, शहर में सड़क नहीं बन रही है, सीवरेज नहीं साफ हो रहे हैं, उसके लिए बजट नहीं हैं। सड़कों पर पैचवर्क लगाने के लिए नगर निगम तैयार नहीं है, लेकिन दो साल पहले लाखों रुपए से बने दफ्तर को तोड़कर उस पर फिर से लाखों रुपए खर्च करने के लिए निगम खजाने में पैसे हैं?