डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट जालंधर और पुलिस प्रशासन द्वारा लतीफपुरा के कब्जाधारकों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई के बीच इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की तरफ से प्रमुख सचिव को चिट्ठी लिखी गई है। चिट्ठी में कहा है कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने साल 1975 में 110 एकड़ की गुरु तेग बहादुर नगर विकास स्कीम लांच किया था।
इसमें नीलामी के जरिए कुछ लोगों को प्लाट अलाट किया गया था। इन प्लाट मालिकों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी कि ट्रस्ट ने 120 फुटी रोड का हवाला देकर नीलामी में प्लाट दिया था, लेकिन मौके पर 60 फुट रोड ही है। हाईकोर्ट ने 2012 में आदेश दिया कि 120 फुटी रोड के कब्जे हटाया जाए।
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हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ कब्जा धारकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक सब कमेटी बनाकर कब्जाधारियों से एतराज मांगे। इस पर 27 कब्जा धारियों ने अपने एतराज पेश किए।
सब कमेटी ने कब्जाधारकों के एतराज सुनने के बाद यह पाया कि उनके एतराज गलत है, इसके बाद कमेटी ने सभी एतराज डिसमिस कर दिए। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने इस कमेटी की रिपोर्ट के प्रस्ताव को सरकार को भेजा, जिस पर सरकार ने इसे एप्रूव कर दिया। इसके बाद कब्जाधारक हरिसिंह ने अपने स्तर पर हाईकोर्ट में फिर से अपील की। इस अपील में हरि सिंह ने 120 फुटी रोड की निशानदेही की मांग की गई।
मांग को भी डिसमिस कर दिया
साल 2014 में इस मांग को भी डिसमिस कर दिया गया। यही नहीं, स्थानीय निकाय विभाग के तत्कालीन सैक्रेटरी अशोक गुप्ता ने चिट्ठी लिख कर कहा कि जिस जमीन को सरकार ने पहले एक्वायर कर ली है, उसकी फिर से निशानदेही करवाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उक्त जमीन से अवैध कब्जा करवाने वाले को हटाया जाए।
इस दौरान इंप्रूवमेंट ट्रस्ट लगातार कब्जा हटाने की कोशिश में जुटा रहा। साल 2018 में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने सभी कब्जाधारियों को अलग-अलग नोटिस जारी कर कब्जा छोड़ने को कहा। इसके साथ ही ट्रस्ट ने पब्लिक नोटिस निकालकर कब्जाधारकों से वहां से हटने को कहा था। लेकिन पुलिस फोर्स न होने के कारण कब्जा नहीं हटाया जा सका।
इसके बाद एक कब्जाधारक ने फिर से सुप्रीम कोर्ट ने अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट में भेजा। हाईकोर्ट ने फिर से कब्जा हटाने के लिए इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को आदेश दिया था, साथ ही पुलिस कमिश्नर को भी फटकार लगाई कि पुलिस फोर्स देकर कब्जे हटाए जाएं। इसके बाद इसी साल इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने अखबारों में पब्लिक नोटिस छपवाकर और मौके पर मुनादी करवा कर कब्जा छोड़ने को कहा गया था।
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इसके बाद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने 9 दिसंबर को पुलिस बल और मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कब्जा हटाया गया। 12 दिसंबर को हाईकोर्ट में इसकी सूचना पेश कर दी गई। अब इस केस की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।
कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं : चेयरमैन
उधर, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन जगतार सिंह संघेड़ा ने कहा है कि लतीफपुरा में कार्रवाई करने से पहले कब्जा धारकों को कब्जा खाली करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था। ये कार्रवाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई। अब इस पर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कब्जाधारकों को आवास मुहैया करवा रही है, लेकिन कुछ सियासतदान उन्हें गुमराह कर रहे हैं।
चेयरमैन जगतार सिंह संघेड़ा ने कहा है कि कब्जा छुड़ाने से पहले पब्लिक नोटिस जारी किया गया है। जालंधर के दो प्रमुख अखबारों में नोटिस भी प्रकाशित किया गया था। बावजूद इसके कब्जाधारकों ने जमीन से कब्जा नहीं छोड़ा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने डीसी और पुलिस कमिश्नर के सहयोग से कब्जे हटाए है।
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