Bitti Mohanty German Tourist: बिट्टी मोहंती, जो 2006 में जर्मन महिला के साथ राजस्थान के अलवर में हुए बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए थे, का रविवार रात को भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। बिट्टी मोहंती (Bitti Mohanty German Tourist) का नाम भारतीय न्याय प्रणाली के एक लंबे और जटिल अध्याय से जुड़ा हुआ है।
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Bitti Mohanty German Tourist मामले की शुरुआत
बिट्टी मोहंती, जो ओडिशा के पूर्व महानिदेशक (होम गार्ड्स और फायर सर्विसेज़) विद्या भूषण मोहंती के पुत्र थे, उस समय दिल्ली में मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे थे। मार्च 2006 में उन पर एक जर्मन महिला के साथ बलात्कार का आरोप लगा। न्यायिक प्रोसेस बहुत तेजी से चली, और 21 दिनों के भीतर, एक फास्ट ट्रैक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
नवंबर 2006 में, बिट्टी को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए 2 हफ्तों की पैरोल मिली, लेकिन इस दौरान वह फरार हो गए। इसके बाद, उन्होंने छह वर्षों तक कानून से बचने के लिए देश भर में भागते रहे। इस दौरान उनके पिता पर भी आरोप लगे कि उन्होंने अपने बेटे को फरार होने में मदद की।
Bitti Mohanty German Tourist गिरफ्तारी और कानूनी प्रक्रिया
मार्च 2013 में केरल के कन्नूर जिले में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ एक बैंक ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया था कि बैंक में काम करने वाले राघव रंजन नाम के व्यक्ति की पहचान असल में बिट्टी मोहंती है, जो एक बलात्कार का दोषी है। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। मार्च 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन अदालत ने उन्हें इस साल जून में फिर से सरेंडर करने का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्होंने कटक के चौद्वार सर्किल जेल में सरेंडर किया।
मौत और बीमारी
बिट्टी मोहंती (Bitti Mohanty German Tourist) पिछले साल अक्टूबर में पेट के कैंसर से ग्रस्त पाए गए थे। उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई और उन्हें एम्स भुवनेश्वर में भर्ती कराया गया। रविवार रात को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
बिट्टी मोहंती का जीवन और उनकी कहानी भारतीय न्याय प्रणाली, पुलिस बल, और समाज के कई पहलुओं पर सवाल उठाती है। उनका जीवन, उनके अपराध, और उनके फरार होने की कहानी एक लंबे समय तक सुर्खियों में रही और यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति के अपराध का प्रभाव उसके पूरे परिवार पर पड़ सकता है।