डेली संवाद, कनाडा। Latest Canada Study Permit News |Canada की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने विदेशी छात्रों को दिए जाने वाले वीजा (VISA) में कटौती का जो फैसला किया है, वह भारतीय युवाओं (Indian Student in Canada) को खास तौर पर प्रभावित करने वाला है। इस निर्णय के पीछे घरेलू कारण हैं और यह कदम फिलहाल केवल दो वर्षों के लिए उठाया गया है। Canada सरकार ने कहा है कि 2025 में इस पर पुनर्विचार किया जाएगा।
Canada Study Permit में कटौती के कारण
Canada पिछले कुछ समय से जबर्दस्त आवास संकट से जूझ रहा है। विभिन्न कारणों से वहां घरों के निर्माण की गति धीमी पड़ी हुई है, जिससे मांग के मुकाबले घरों की उपलब्धता कम हो गई है।
सस्ता आवास उपलब्ध कराने में असफलता, प्रधानमंत्री ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट का एक बड़ा कारण बन रही है। विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
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इमीग्रेशन पॉलिसी (Immigration Policy) में बदलाव
आवास संकट से जुड़ा एक पहलू वहां की इमिग्रेशन पॉलिसी है। कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों के आने से डिमांड और सप्लाई का संतुलन बिगड़ रहा है। इन छात्रों की वजह से आवास की मांग बढ़ रही है और कीमतों में इजाफा हो रहा है। हालांकि, कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिहाज से ये अंतरराष्ट्रीय छात्र काफी महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं।
India और Canada के बीच संबंध भी फिलहाल तनावपूर्ण हैं। ट्रूडो द्वारा खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप सार्वजनिक रूप से भारत पर लगाए जाने के बाद संबंधों में खटास आ गई है।
Canada अभी तक इन आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दे पाया है। दूसरी ओर, भारत की पहले से यह शिकायत रही है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों को भारत विरोधी गतिविधियों की पूरी छूट मिली हुई है।
India और Canada के बीच पीपल-टु-पीपल कनेक्ट
दोनों देशों के बीच पीपल-टु-पीपल कनेक्ट काफी मजबूत रहा है। कूटनीतिक स्तर पर आए तनाव का उस पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ने वाला। कनाडा जाने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय छात्रों का है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, वहां के विदेशी छात्रों में भारतीयों का अनुपात 41 फीसदी था।
ताजा अनुमानों के मुताबिक, 2023 में भी 3,00,000 भारतीय छात्र कनाडा गए थे। जाहिर है, Canada में पढ़ाई करके करियर बनाने का सपना देख रहे भारतीय युवाओं के लिए यह कोई अच्छी खबर नहीं है।
यह इस बात का उदाहरण है कि सरकारों के बीच रिश्तों के मुकाबले दो देशों के बीच का रिश्ता ज्यादा स्थिर और दीर्घकालिक होता है। उम्मीद की जा सकती है कि यह तात्कालिक संकट दोनों देशों में आपसी रिश्तों की गहराई का अहसास कराते हुए इन्हें पॉजिटिव बनाए रखने की भावना को मजबूत करेगा।