डेली संवाद, गुवाहाटी। PM Narendra Modi: काशी और अयोध्या के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुवाहाटी के वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड में मां कामाख्या मंदिर (Maa Kamakhya Devi Mandir) कॉरिडोर समेत असम में 11 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। इसे महाकाल और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह 498 करोड़ रुपए खर्च कर डेवलप किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा- अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद मैं अब यहां मां कामाख्या के द्वार पर आया हूं। आज मुझे यहां मां कामाख्या दिव्यलोक परियोजना का शिलान्यास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
हमारी सभ्यता की यात्रा की अमिट निशानियां हैं
उन्होंने कहा- कुछ लोगों ने अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने का ट्रेंड बना दिया था। कोई भी अपनी जड़ों को काटकर, अतीत को भुलाकर सफल नहीं हो सकता। हमारे तीर्थ, हमारे मंदिर, हमारी आस्था के स्थान, ये सिर्फ दर्शन करने की स्थली ही नहीं हैं। ये हजारों वर्षों की हमारी सभ्यता की यात्रा की अमिट निशानियां हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या में भव्य आयोजन के बाद मैं अब यहां मां कामाख्या के द्वार पर आया हूं। आज मुझे यहां मां कामाख्या दिव्यलोक परियोजना का शिलान्यास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दिव्यलोक की जो कल्पना की गई है, मुझे उसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
हमारी सभ्यता की यात्रा की अमिट निशानियां
पीएम ने कहा- हमारे तीर्थ, हमारे मंदिर, हमारी आस्था के स्थान, ये सिर्फ दर्शन करने की स्थली ही नहीं हैं। ये हजारों वर्षों की हमारी सभ्यता की यात्रा की अमिट निशानियां हैं। भारत ने हर संकट का सामना करते हुए कैसे खुद को अटल रखा, ये उसकी साक्षी है।
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मोदी ने कहा कि आज मुझे एक बार फिर मां कामाख्या के आशीर्वाद से असम के विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स आपको सौंपने का सौभाग्य मिला है। यहां 11 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। ये सारे प्रोजेक्ट असम और नॉर्थ-ईस्ट के साथ ही दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के साथ इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगे।
ये है प्रोजैक्ट का स्वरूप
नीलांचल पर्वत पर मां कामाख्या देवी के मंदिर के अलावा कई और मंदिर हैं। यहां मातंगी, कमला, त्रिपुर सुंदरी, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्तिका, भैरवी, धूमावती देवियों और दशमहाविद्या (देवता के दस अवतार) के मंदिर भी हैं। नीलांचल पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग मंदिर हैं। इन्हीं सब को मिलाकर मां कामाख्या कॉरिडोर तैयार होगा।
पहाड़ियों से मिलकर बना नीलांचल पर्वत
नीलांचल तीन भागों यानी ब्रह्मा पहाड़ी, विष्णु पहाड़ी और शिव पहाड़ी से मिलकर बना है। यहां भुवनेश्वरी मंदिर सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है। पहाड़ी के उत्तरी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी बहती है। नीलांचल पहाड़ी में बाणदुर्गा मंदिर, जया दुर्गा मंदिर, ललिता कांता मंदिर, स्मरणकली मंदिर, गदाधर मंदिर, घंटाकर्ण मंदिर, त्रिनाथ मंदिर, शंखेश्वरी मंदिर, द्वारपाल गणेश के मंदिर जैसे कुछ अन्य मंदिर हैं। हनुमान मंदिर, पांडुनाथ मंदिर बरहा पहाड़ी में स्थित हैं।