डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अब पंजाब के ड्रग्स रैकेट पर नकेल कसने के लिए न सिर्फ पंजाब नहीं बल्कि हरियाणा और चंडीगढ़ को भी निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह बात सामने आई है कि पंजाब में 20 महीनों में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में 25 हजार 579 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, 21 हजार 430 मामले दर्ज किए गए हैं।
63,000 नशीली दवाओं के आदी लोगों का इलाज आउट पेशेंट ओपियोइड असिस्टेड ट्रीटमेंट (OOAT) क्लीनिकों में चल रहा है, जबकि 3 लाख से अधिक लोगों का सरकारी और निजी पुनर्वास केंद्रों में इलाज चल रहा है। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि ये आंकड़े चिंताजनक हैं, इसलिए पुलिस को इसके सरगनाओं को पकड़ना चाहिए और उन पर न केवल एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भी आरोप लगाना चाहिए।
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कम से कम 10 साल से 20 साल की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब में हजारों करोड़ रुपये के नशे के कारोबार में तस्करों और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत की जांच करना बहुत जरूरी है। जांच एजेंसियों को इसकी जांच पर पूरा जोर लगाना चाहिए। पंजाब सरकार द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ गठित की गई एसटीएफ को और अधिक सुधार, आधुनिकीकरण और मजबूत किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों को भी आदेश जारी किए है। हाई कोर्ट ने जारी आदेशों में कहा कि छात्रों को नशे की दलदल में फंसाने वाले नशा तस्करों को पकड़ने के लिए सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों के बाहर सिविल वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
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इसके साथ ही सभी स्कूलों, कॉलेज और शिक्षा शैक्षणिक संस्थानों में नशा विरोधी क्लब बनाएं जाए। स्थानीय अभिसूचना इकाई को ऐसी सभी दुकानों, ढाबों, चाय की दुकानों आदि पर नजर रखनी चाहिए, जहां से मादक पदार्थों के तस्कर कारोबार करते हैं और ऐसा करने वालों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी मेडिकल दुकान, बार, रेस्टोरेंट में नाबालिगों को दवाइयां, नशीली दवाएं और नशीला पदार्थ न दिया जाए. यदि कोई विक्रेता ऐसा करता पाया जाए तो उसे नोटिस देकर तत्काल उसका लाइसेंस निरस्त किया जाए।
स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में निगरानी बढ़ाई जाए
नाबालिगों को शराब की आपूर्ति/बिक्री करने वाले बार/विक्रेताओं द्वारा जारी किए गए लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए। जो क्षेत्र अधिक संवेदनशील हैं, वहां सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए और यहां नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए।