नई दिल्ली। Doctors Day : पूरी दुनिया में 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। क्या आपको पता है कि आखिर डाक्टर डे क्यों मनाया जाता है? डाक्टर डे मनाने की पीछे क्या तर्क है। चलिए आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर डाक्टर्स डे क्यों मनाया जाता, हम उन डाक्टरों के बारे में भी जानेंगे, जो पहली बार दुनिया के लिए भगवान के रूप में नजर आए।
डॉक्टरों को अक्सर धरती पर भगवान का अवतार बताया जाता है। भारत में तो उन्हें ईश्वर तुल्य समझा जाता है। कोरोना के दौरान भी हमने देखा कि कैसे डॉक्टर, 24 घंटे बिना खाए-पिए लोगों के इलाज में लगे रहें। डॉक्टरों की इस सेवा और समर्पण की कोई तुलना नहीं है। ऐसे ही डॉक्टरों के लिए भारत में 1 जुलाई के दिन हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
ये भी पढ़ें: प्रॉपर्टी डीलर ने महिला को पीटा, कपड़े भी फाड़े, भारी हंगामा
भारत में पहली बार डॉक्टर्स डे सन् 1991 में डॉ बिधान चंद्र रॉय को सम्मानित करने के लिए मनाया गया था, जिन्होंने चित्तरंजन कैंसर अस्पताल और चित्तरंजन सेवा सदन जैसे संस्थानों की स्थापना की थी. तब से हर साल उन्हीं की याद में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है.
सन् 1882 में बिधान चंद्र रॉय का जन्म पटना में हुआ। उन्होनें पहले गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से चिकित्सा की पढ़ाई की। उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए लंदन के बारथोलोम्यू अस्पाताल गए, लेकिन एशियाई मूल का होने की वजह से उन्हें दाखिला नहीं मिला। इसके बाद उन्होनें हार नहीं मानी और 30 बार के प्रयास के बाद आखिरकार उनका दाखिला सुनिश्चित हुआ।
ये भी पढ़ें: प्रमुख उद्योगपति पर युवती ने लगाए शारीरिक शोषण का आरोप
जिस व्यक्ति को लंदन के प्रतिष्ठीत कॉलेज में दाखिला नहीं मिला था, उन्हें ही बाद में रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन का सदस्य चुना गया। लंदन में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने बाद वे भारत लौट गए। भारत वापसी के बाद उन्होनें स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
सन् 1925 से उन्होनें अपनी राजनैतिक यात्रा की शुरूआत की। 1947 में भारत के आजादी के बाद सन् 1948 में बंगाल के मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया। सन् 1961 में उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के भारत रत्न से नवाजा गया। सन् 1962 में उनका देहांत हो गया था।
ये थे हमारे डाक्टर। डाक्टर्स डे पर तमाम डॉक्टरों के योगदान को याद किया जाता है और कई जगहों पर उन्हें सम्मानित किया जाता है। तो, इस कड़ी में हम 5 जानलेवा बीमारियों के पहले भारतीय डॉक्टर के बारे में जानेंगे।
डायबिटीज के पहले भारतीय डॉक्टर-India’s first diabetic doctor
एम. विश्वनाथन (M. Viswanathan) को भारत में ‘मधुमेह विज्ञान का जनक ‘Father of Diabetology in India ‘ कहा जाता है। उन्होंने 1948 में सरकारी स्टेनली अस्पताल में भारत में पहला डायबिटीक क्लिनिक शुरू किया और स्वतंत्र भारत के बाद यह पहला डायबिटीक क्लिनिक है। लगभग 30 से 40 साल तक उन्होंने डायबिटीज के मरीजों को इलाज किया और कई डाबिटीज के डॉक्टरों को पढ़ाकर तैयार किया।
भारत में पहले कैंसर विशेषज्ञ-First Cancer Specialist In India
डॉ. सुरेश आडवाणी (Dr. Suresh Advani), भारत में पहले कैंसर विशेषज्ञ थे। सुरेश आडवाणी ऑन्कोलॉजिस्ट (एमबीबीएस, एमडी) हैं। 8 साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आने के कारण कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था, इसके बावजूद डॉ. आडवाणी ने बाधाओं को हराया और भारत में सफलतापूर्वक बोन मैरो ट्रांसफर करने वाले पहले ऑन्कोलॉजिस्ट बन गए।
भारत की पहली हृदय रोग विशेषज्ञ-First cardiologist in india
शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती एक भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ यानी कार्डियोलॉजिस्ट थीं। वह नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली की निदेशक और ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष भी थीं। उन्होंने कार्डियोलॉजी में छात्रों को प्रशिक्षण देने में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर काम भी किया। उन्हें अपने काम के लिए देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है।
देश के पहले न्यूरोसर्जन-First neurosurgeon in india
जैकब चांडी (Dr Jacob Chandy), देश के पहले भारतीय न्यूरोसर्जन थे। इतना ही नहीं वे चिकित्सा विज्ञान के शिक्षक थे भारत में पहले न्यूरोसर्जन के रूप में, उन्हें व्यापक रूप से काम किया था। उन्हें भारत में आधुनिक न्यूरोसर्जरी का जनक भी माना जाता है।
भारत की पहली स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर-First gynecologist and obstetrician
मैरी पूनन लुकोज़ (Mary Poonen Lukose) एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ थीं। उन्हें भारत की पहली महिला सर्जन जनरल के रूप में जाना जाता है। उन्होंने देश के कोने-कोने में जाकर काम किया और महिलाओं की समस्याओं को सुनकर उनका इलाज किया। तो, इस तरह आज के दिन हम इन डॉक्टरों को नमन करते हैं जिन्होंने भारत में इन बीमारियों के इलाज की शुरुआत की।