डेली संवाद, नई दिल्ली। Famous Dargah In India: भारत एक विविधता से भरा देश है। भारत में 20 शानदार दरगाह हैं जहां हर मुस्लिम भाईयों की उनके जीवन में एक बार जाने की तमन्ना जरूर रहती है। वहीं कुछ दरगाह ऐसे भी हैं जिनमें महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को प्रार्थना क्षेत्र के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। लोगों की आस्था इनमें इतनी होती है कि वह बार-बार यहां सर झुकाने आते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, भक्ति काल 14वीं सदी से लेकर 16 वीं सदी तक रहा है। इस दौरान सभी धर्मों का उत्थान हुआ है। इस दौरान तुलसीदास, सूरदास, रैदास, मीरा, कबीर आदि सगुन और निर्गुण भक्ति के संत का उदय हुआ था। इसके अलावा, कई सूफी संत भी भारत में आकर बसे। इन सूफी संतों की स्मृति में कई दरगाह बनाए गए हैं। आज भी दरगाह अवस्थित हैं।
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आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे ही फेमस दरगाहों के बारे में, जहां लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और खाली हाथ नहीं लौटते। यह दरगाह आस्था और विश्वास का केंद्र है। यह सभी दरगाह अपनी वास्तुकला के लिए भी जाने जाते हैं। इन दरगाहों की सबसे खास बात यह है कि यहां सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग ही नहीं आते, बल्कि हर धर्म के लोग आते हैं। तो चलिए जानते हैं उन सबसे प्रसिद्ध दरगाहों के बारे में जिसके दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं।
हाजी अली दरगाह
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वर्ली समुद्र तट पर एक छोटे द्वीप पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए समुद्र के बीच से होती हुई एक लंबी सड़क जाती है। इसे बाबा हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह भी कहा जाता है और यह पूरी दुनिया में फेमस है। कोई भी मुंबई घुमने आता है तो इस दरगाह में माथा टेके बिना नहीं जाता। इस दरगाह में सभी धर्मो के लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं।
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दरगाह के लिए सड़क से एक सेतु बनी हुई है जिसके दोनों ओर समुद्र है और यहां का नजारा देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। बरसात के दिनों में यह सड़क पानी में डूब जाती है, जिससे यहां के लिए आवाजाही रूक जाती है। इसके इतिहास और निमार्ण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसकी स्थापना साल 1431 में हुई थी। यह दरगाह भारतीय इस्लामिक सभ्यता का नमूना है।
अजमेर शरीफ
अगर आप दिल्ली के आसपास रहते हैं, तो सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती का आशीर्वाद पाने राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ दरगाह जरूर जाएं। 13वीं सदी के सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती दार्शनिक भी थे। इस दरगाह का निर्माण 1236 में किया गया था। अजमेर शरीफ दरगाह अजमेर रेलवे स्टेशन से महज 2 किलोमीटर पर स्थित है। अजमेर शरीफ में लोगों की बड़ी श्रद्धा है। इसके लिए सालों भर श्रद्धालु ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर आते हैं।
सलीम चिश्ती की दरगाह
फतेहपुर सीकरी में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है। इस दरगाह का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था। ऐसा माना जाता हैं कि जब अकबर बच्चे के लिए मन्नत मांग रहे थे, उसी दौरान उनकी मुलाकात शेख सलीम चिश्ती से हुई थी और उन्होंने अकबर को संतान प्राप्ति की दुआ दी थी, जिसके बाद अकबर को संतान की प्राप्ति हुई थी।
संतान के जन्म की खुशी में अकबर ने फतेहपुरी सीकरी का निर्माण कराया और जब शेख सलीम चिश्ती का निधन हो गया तो उनकी याद में यह समाधि बनवाई। साल 1580 से 1581 के बीच में इसका निर्माण करवाया गया था।
निजामुद्दीन दरगाह
सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह दिल्ली में है। सन 1325 में निजामुद्दीन दरगाह की स्थापना की गई। उस समय से लेकर सन 1562 तक दरगाह का निर्माण कार्य होता रहा। निजामुद्दीन चिश्ती सभी धर्मों में लोकप्रिय रहे हैं। उनके कहने पर कई युद्ध रोके गए थे। अमीर खुसरो इनके परम शिष्य थे। इसके लिए दरगाह पर दो बार उर्स आयोजित किए जाते हैं।
बीबी का मकबरा
बीबी का मकबरा, जिसे देखकर आपको लगेगा कि आप आगरा का ताजमहल देख रहे हैं। बीबी के मकबरे को लोग महाराष्ट्र का ताजमहल भी कहते हैं. यह मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए आगरा में ताजमहल बनवाया था, जिसे देखा देखी औरंगजेब के बेटे और शाहजहां के पोते आजम शाह ने ताजमहल से प्रेरित होकर अपनी मां दिलरास बानो बेगम की याद में बीबी का मकबरा बनवाया। इसका निर्माण 1651 से 1661 ईसवीं के बीच करवाया गया था।
जामा मस्जिद
ताज महल’ के बाद आगरा की मशहूर जगहों में से एक है जामा मस्जिद, दोनों को ही शाहजहां ने बनवाया था। कहा जाता है कि शाहजहां ने ताज को अपनी बेगम मुमताज की याद में और जामा मस्जिद को अपनी बेटी जहांआरा के लिए बनवया था। जामा मस्जिद लाल पत्थर से बनी हुई है और इसे संगमरम से बनाया गया है। ताजमहल के बाद आगरा में यह भी एक देखने लायक स्थल है।