डेली संवाद, जालंधर। PIMS: गायनी विभाग के प्रोफेसर एंड हैड और डीन (अंडर ग्रेजुएट) डा. एच. के चीमा ने बताया कि लिद्ड़ा निवासी बेबी (28) पत्नी वियाश गुप्ता को लगभग एक साल से महावारी की दिक्कत थी। काफी जगह दिखाने के बाद भी उसे आराम नहीं आया। अंत में बेबी जब पिम्स में आई तो उसके कुछ जरूरी टेस्ट किए गए।
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रिपोर्ट आने पर पता चला कि उसकी बच्चेदानी में लगभग सवा सात किलो की रसौली है। डाक्टरों के लिए यह एक चैलेज से कम भी नहीं था कि 28 साल की युवती की बच्चेदानी निकाले बिना रसौली निकाली जाए। इसके बाद सफल अपरेशन से युवती की सवा सात किलो की रसौली निकाली गई।
डा. चीमा ने बताया कि मरीज अब स्वस्थ्य है। उसे कुछ दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने बताया ऐसे बहुत ही कम केस पाए गए हैं। जिनमें इतनी ब़ड़ी रसौली बिना बच्चेदानी के निकाली गई है। उन्होंने बताया कि अगर मरीज का कुछ महीने ओर इलाज ना होता तो रसौली अंदर फटने का खतरा भी था।
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इससे मरीज की जान भी जा सकती थी। उन्होंने बताया कि अपरेशन की खास बात यह रही की एक भी सेल पेट के अंदर नहीं रहा। पूरी की पूरी रसौली को बाहर निकाला गया है। पिम्स के रेजेडेंट डायरेक्टर अमित सिंह और डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोडा ने बताया हमारे पास सक्षम डाक्टरों की टीम है जो इस प्रकार जटिल से जटिल अपरेशन करते हैं।
पिम्स में रियायती दरों पर लोगो का इलाज किया जाता है। पिम्स का उद्देश्य लोगों को अधिक से अधिक से सुविधाएं देकर बेहतर इलाज करना है। पिम्स के भावी डाक्टरों को भी मरीजों की सेवा के लिए समय समय पर प्रेरित किया जाता है।