डेली संवाद, चंडीगढ़। Maa Chandraghanta Aarti: देवी चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) एक अद्भुत शक्ति का रूप हैं। चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को शक्ति तथा ओज की प्राप्ति होती है। चंद्रघंटा देवी का अवतार मुख्य रूप से दानवों तथा दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ। माता चंद्रघंटा असुरों के विनाश हेतु नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में अवतरित हुई थी।
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भयंकर दानवों को मारने वाली यह देवी हैं। असुरों की शक्ति को क्षीण करके, देवताओं का हक दिलाने वाली देवी चंद्रघंटा शक्ति का रूप हैं। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। शास्त्रों के ज्ञान से परिपूर्ण, मेधा शक्ति धारण करने वाली देवी चंद्रघंटा संपूर्ण जगत की पीड़ा को मिटाने वाली हैं। आपका मुख मंद मुस्कान से कान्तिवान, निर्मल, अलौकिक तथा चंद्रमा के बिम्ब प्रतीक सा उज्ज्वल है।
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ऐसा दिव्य स्वरूप देखकर भी महिषासुर ने देवी के अलौकिक स्वरूप पर प्रहार किया। उनके प्रेम, स्नेह का रूप तब भयंकर ज्वालामुखी की भांति लाल होने लगा, यह क्षण आश्चर्य से भरा हुआ था। उनके इस रूप का दर्शन करते ही महिषासुर भय से कांप उठा। उन्हें देखते ही दानव महिषासुर के प्राण तुरंत निकल गये। आखिर यमराज को देखकर भला कौन जीवित रह सकता है।
मां चंद्रघण्टा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
दारा सिंह का पोता फतेह रंधावा ‘अखाड़े’ के लिए तैयार
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