डेली संवाद, नई दिल्ली। Bilkis Bano Case: 2002 के गोधरा दंगों (Godhra Riots) के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जिसमें कोर्ट ने रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था।
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इस आदेश के आधार पर बिलकिस के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी रिहा हुए थे। मामला आज चीफ जस्टिस के सामने रखा गया। उन्होंने इस पर विचार कर उचित बेंच के सामने लगाने का आश्वासन दिया है। बानो ने सुप्रीम कोर्ट से सभी दोषियों को फिर से जेल भेजने की मांग की है।
13 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने एक दोषी राधेश्याम शाह की याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि उसे सज़ा 2008 में मिली थी। इसलिए, रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कड़े नियम लागू नहीं होंगे बल्कि 1992 के नियम लागू होंगे। गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को इसी आधार पर 14 साल की सज़ा काट चुके 11 लोगों को रिहा किया था।
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1992 के नियमों में उम्र कैद की सज़ा पाए कैदियों की 14 साल बाद रिहाई की बात कही गई थी, जबकि 2014 में लागू नए नियमों में जघन्य अपराध के दोषियों को इस छूट से वंचित किया गया है। बिलकिस बानो की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होने चाहिए, गुजरात के नहीं।
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