डेली संवाद, नई दिल्ली। Supreme Court of India: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों में दिए गए आरक्षण पर आज सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। 5 सदस्यीय बेंच में से तीन जजों ने 4-1 से आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा के खिलाफ अपनी राय रखी। बाकी चार जजों ने संविधान के 103वें संशोधन को सही ठहराया। इन जजों का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।
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इसी के साथ आज जस्टिस ललित का सुप्रीम कोर्ट में आखिरी कार्य दिवस है। इस आरक्षण में सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के व्यक्तियों को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया है। पीठ ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला हैं।
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मामले में मैराथन सुनवाई लगभग सात दिनों तक चली थी। इसमें याचिकाकर्ताओं और (तत्कालीन) अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडब्ल्यूएस कोटे का बचाव किया था। इसी के साथ ही सरकार ने अदालत में इस कानून का समर्थन किया है। सरकार का कहना है कि इस कानून के जरिए गरीबों को आरक्षण का प्रावधान है।
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