डेली संवाद, पंजाब। Irrigation Department Scam: लंबे समय से चल रहा पंजाब में सिंचाई विभाग घोटाले में काफी उतर चढ़ाव देखने को मिले है। 2017 में एक ठेकेदार की गिरफ्तारी से उजागर हुआ यह घोटाला पंजाब में अकाली-भाजपा शासन के दौरान हुआ था। इसमें सरकार के आला अफसरों से पूछताछ की तत्कालीन राज्य सरकार और उसके बाद कैप्टन व चरणजीत चन्नी सरकारों ने भी विजिलेंस को अनुमति नहीं दी थी। लेकिन उसके बाद यह काफी लंबे समय तक ठंडे बस्ते में भी रखा गया।
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पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के समय से चर्चा में चले आ रहे इस कथित घोटाले के मामले में मुख्य किरदार ठेकेदार गुरिंद्र सिंह उर्फ भापा है इनको गिरफ्तार करके जांच आगे बढ़ाई गई और कुछेक अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की गई थी, लेकिन तत्कालीन सरकारों द्वारा उस मामले को ठंडे बस्ते में डाला जाता रहा।
लेकिन अब समय आ गया है कि उक्त कथित घोटाले से जुड़ी सभी परतें मान सरकार उधड़ेंगी और साथ ही उक्त घोटाले में तत्कालीन उच्च पदों पर आसीन रहे पूर्व आई.ए.एस. अधिकारियों की भूमिकाएं भी जांची जाएंगी।
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सूत्रों से जानकारी मिली है कि विजीलैंस ब्यूरो को इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.बी.एस. सिद्धू और पूर्व प्रमुख सचिव काहन सिंह पन्नू और 2 पूर्व सिंचाई मंत्रियों जनमेजा सिंह सेखों व शरनजीत सिंह ढिल्लों की भूमिकाओं की जांच करने की मंजूरी दे दी है।
इस बारे में भी जानकारी मिली है कि काहन सिंह पन्नू को विजीलैंस ब्यूरो द्वारा 18 अक्तूबर को पेश होने के लिए कहा गया है। उसके बाद धीरे धीरे इस घोटाले में जिनकी भी भूमिकाएं की आशंका है उनको पूछताश के लिए बुलाया जाएगा। इस मामले की जांच व पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंद्र सिंह द्वारा अपने बयान में आरोप लगाया गया था कि उसके द्वारा सिंचाई टैंडरों के बदले न सिर्फ राजनेताओं बल्कि आई.ए.एस. अधिकारियों को भी 10-10 व 20-20 करोड़ रुपए कमीशन के तौर पर दिए जाते रहे थे।
यह है मामला
विजिलेंस ब्यूरो द्वारा अगस्त 2017 में गिरफ्तार घोटाले के मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंदर सिंह ने शपथ पत्र देकर कहा था कि सिंचाई घोटाले में तीन पूर्व आईएएस अधिकारी, दो पूर्व मंत्री और उनके निजी सचिव शामिल हैं। शपथ पत्र में ठेकेदार ने कहा कि काम दिलाने, बिल पास करने और टेंडर के नियम व शर्तों को उसके मुताबिक बनाने के लिए उक्त मंत्रियों, अफसरों ने उससे मोटी रकम हासिल की।
ठेकेदार ने विजिलेंस को यह भी बताया था कि तीनों आईएएस अधिकारियों को कुल 21 करोड़ रुपये दिए जबकि दोनों मंत्रियों को 10 करोड़ रुपये दिए थे। विजिलेंस के सूत्रों के अनुसार ठेकेदार गुरिंदर सिंह को 2007 से 2016 तक 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के काम अलॉट हुए थे। इसे लेकर उसने इन अफसरों, पूर्व मंत्रियों को पैसा दिया।
गुरिंदर सिंह के बारे में कहा जाता है कि सिंचाई विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक अफसर भी उसकी पसंद के ही लगते थे। 2006 में 4.75 करोड़ रुपये की उसकी कंपनी मात्र दस वर्ष में 300 करोड़ रुपये की हो गई।
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