डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Smart City Scam: जालंधर स्मार्ट सिटी महाघोटाले की जांच के बीच बड़ी खबर आ रही है। जालंधर स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट कुलविंदर सिंह को पूरे प्रोजैक्ट से हटा दिया गया। इससे पहले प्रोजैक्ट हेड लखविंदर सिंह को सीईओ दविंदर सिंह ने बर्खास्त कर दिया था। हालांकि लखविंदर सिंह के भी हटाए जाने की पहले खबरें चली थीं।
जालंधर स्मार्ट सिटी के 1000 करोड़ रुपए कामों में करोड़ों रुपए के घोटाले सामने आने के बाद विजीलैंस ने जांच शुरू कर दी है। विजीलैंस के जांच शुरू होते ही अचानक स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट कुलविंदर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है। आपको बता दें कि कुलविंदर सिंह पर लगातार करप्शन के आरोप लगते रहे हैं। मेयर जगदीश राजा समेत सभी पार्षद और आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा और शीतल अंगुराल ने इनकी शिकायत स्थानीय निकाय मंत्री से भी की थी।
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प्रोजैक्ट से हटाए गए कुलविंदर सिंह पर आरोप है कि चौकौं के सौंदर्यीकरण में 21 करोड़ रुपए का एस्टीमेट बनाकर टैंडर लगा डाला। जब सरकार बदली तो खुद को घिरते देखकर ठेकेदार को 8 करोड़ रुपए का भुगतान करवाते हुए काम बंद करवा दिया। जबकि इन चौकौं पर महज 5 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। इसका खुलासा खुद जालंधर सैंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने किया था।
इसके अलावा स्मार्ट सिटी के 1000 करोड़ रुपए के कामों में करोड़ों रुपए की धांधली के आरोप कुलविंदर सिंह पर लगते रहे हैं। इस संबंध में जब कुलविंदर सिंह का पक्ष जानने के लिए फोन किया गया था, तो उनका फोन बंद था। वहीं, सीईओ दविंदर सिंह ने भी फोन नहीं उठाया। पता चला है कि कुलविंदर सिंह को चंडीगढ़ में हुई बैठक के बाद हटाने का फैसला लिया गया।
यह है मामला
जालंधर में स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत 1000 करोड़ रुपए से काम चल रहे हैं। इसमें कई करोड़ों रुपए काम हो चुके हैं। लेकिन कागजों में काम दिखाकर करोड़ों रुपए की धांधली की गई। इससे पहले एलईडी लाइट प्रोजैक्ट में 8 करोड़ की धांधली के आरोपों में फंसे प्रोजैक्ट हेड लखविंदर सिंह को बर्खास्त कर दिया गया।
नोडल अफसर पर कब होगी कार्ऱवाई
सूत्र बता रहे हैं कि ठेकेदारों को भुगतान नगर निगम के अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद किए गए हैं। जिससे नगर निगम के नोडल अधिकारी रजनीश डोगरा और मंजीत जौहल पर भी गाज गिर सकती है। इसके साथ ही जेई, एसडीओ और एक्सईएन के खिलाफ भी बड़ा एक्शन हो सकता है। क्योंकि इन इंजीनियरों के साइन पर ही करोड़ों रुपए के भुगतान हुए हैं। इसके अलावा एस्टीमेट को बनाने और उसे रिवाइज्ड करने वाले ड्राफ्ट्मैन के खिलाफ भी जांच शुरु हो गई है।
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