डेली संवाद, लुधियाना
स्टील के कच्चे माल की कीमतों में उछाल और चौतरफा महंगाई से खफा कारोबारियों ने मंगलवार को लगातार आठवें दिन यहां अपना रोष धरना जारी रखा। गांधीगिरी के जरिए केंद्र सरकार के खिलाफ अलग अंदाज में रोष जताते हुए आज मुंह पर पटि्टयां और मास्क बांधकर मौन व्रत रखा।
साथ ही बयान जारी कर अपना दर्द बयां करते हुए गुहार लगाई कि लगातार मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कम से कम एक बार हम कारोबारियों की पुकार भी सुन लें। साथ ही अपनी मुख्य मांग दोहराई कि अगर सरकार रेगुलेटरी कमेटी बना दे तो बेलगाम होती महंगाई पर अंकुश लगाया जा सकता है।
उन्होंने तर्क दिया कि जब सरकार खुद कारोबारियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानती है तो उसको ही तोड़ने वाले काम क्यों कर रही है। हकीकत में चौतरफा महंगाई से इंडस्ट्री की रीढ़ टूट चुकी है। कारोबारियों ने सरकार को सचेत किया कि यदि इंडस्ट्री का अस्तित्व नहीं बचेगा तो उससे जुड़े करोड़ों वर्करों के सामने भी रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।
आर्थिक संकट के दौरान भी इंडस्ट्री ने मैदान नहीं छोड़ा
कारोबारियों ने याद दिलाया कि कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के दौरान भी इंडस्ट्री ने मैदान नहीं छोड़ा। इसके बावजूद कारोबारियों पर टैक्स का बोझ लाद दिया गया। जबकि होना यह चाहिए था कि इंडस्ट्री को राहत देने वाले कदम उठाते हुए केंद्र सरकार देश की अर्थव्यस्था को तेजी से मजबूत करने की पहली करती।
फिलहाल कारोबारी राहत की आस छोड़कर सिर्फ यह चाहते हैं कि कच्चे माल की बेलगाम कीमतों में गिरावट आए। साथ ही रियायती दर पर बिजली, डीजल और जरुरी सुविधाएं दी जाएं। वर्ना मजबूरन कारोबारियों को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
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