नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा (Motilal Vora) का निधन हो गया है. वोरा ने 93 साल की उम्र में दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में आखिरी सांस ली. वह कुछ हफ्ते पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और कई दिनों तक एम्स में भर्ती रहने के बाद उन्हें छुट्टी भी मिल गई थी. जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले वोरा को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने श्रद्धांजलि दे देते हुए कभी न भूलने वाला नेता करार दिया है. इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी वोरा को याद किया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर दुख प्रकट करते हुए ट्वीट किया, ‘वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और बेहतरीन इंसान थे. हमें उनकी कमी बहुत महसूस होगी. उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरा स्नेह एवं संवेदना है।
मोतीलाल वोरा पुराने दिग्गज राजनीतिकों में शुमार किए जाते रहे और 50 सालों से कांग्रेस के साथ संगठन और सरकारों में जुड़े रहे हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके वोरा का राजनीतिक सफर 1960 के दशक में शुरू हुआ था और शुरुआत में वोरा समाजवादी विचारधारा वाली पार्टी के साथ जुड़े थे, लेकिन उसके बाद 1970 में कांग्रेस में आए और कांग्रेस पार्टी और राज्य सरकार में उच्च पदों पर रहने के बाद राज्यसभा तक भी पहुंचे. वोरा विवादों में भी फंसे लेकिन कुछ कारणों से गांधी परिवार के चहेतों में शुमार रहे।
1970 में वोरा कांग्रेस में शामिल हुए थे
प्रभात तिवारी और पंडित किशोरीलाल शुक्ला की मदद से 1970 में वोरा कांग्रेस में शामिल हुए थे. उसके एक दशक के भीतर ही वो गांधी परिवार के काफी करीब आ गए थे. उनकी कुशलता और एक दशक में मध्य प्रदेश में तीन बार चुनाव जीतना खास कारण थे. 1983 में इंदिरा गांधी सरकार में वोरा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में वोरा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला. इसके बाद राजीव गांधी सरकार में भी वोरा शामिल हुए, जब राज्यसभा के सदस्य के तौर पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।