डेली संवाद, जालंधर
कांग्रेस के पार्षद जगदीश राम समराय ने कहा के अभी हाल में जलंधर नगर निगम द्वारा सॉलिड बेस्ट को निस्तारण करने हेतु टेंडर आमंत्रित किया गया है। जिसमें कम से कम 800 रुपए प्रति एक टन की लागत आने का अनुमान है, जिसमें गीले कूड़े को ट्रीटमेंट करने की बात कही गई है, जो गैरकानूनी है।
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उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से निकलने वाले ताज़े कूड़े को निस्तारित करने के लिए 300 से लेकर 400/- रुपए प्रति मैट्रिक टन, के दर से प्रस्ताव दिया हुआ है। ऐसे में पुराने कूड़े के लिए नए टेंडर जिसमें ताज़े कूड़े को भी लिगेसी कूड़े की तरह ट्रीट करने का प्रावधान है, ये तो सुनियोजित तरीके से किसी एक संस्था को फायदा पहुंचाने की मंशा से खेला जाने वाला खेल है।
नगर निगम आखिर विवश क्यों
शहर से निकलने वाले ताज़े कूड़े तकरीबन 500 टन प्रतिदिन नगर निगम क्षेत्र से निकलने वाले कूड़े को ट्रीट करने के लिए windrow pad और टिप्पिंग फ्लोर के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दिशाओं /डायरेक्शन के अनुसार कम से कम 5 एकड़ जगह की जरूरत होती है, जो कि नगर निगम के पास अभी कोई विवशता उपलब्ध नही है।
उपरोक्त के अनुसार नगर निगम को अपने निकाले गये पुराने कूड़े को ट्रीट करने के लिए टेंडर पर पुनः विचार करना चाहिये। इसे जल्दी रद्द किया जाना चाहिए और नए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दिशाओं अनुसार टेंडर कॉल करना चाहिए, और सभी योग्य और निपुण ठेकेदारों को इसमें शामिल होने का मौका मिलना चाहिए, जिससे नगर निगम को जिससे नगर निगम को यकीनन फायदा होगा।
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निजी कारपोरेट कंपनी को फायदा करने की मंशा
नगर निगम के कुछ अफसरों दोबारा किसी निजी कारपोरेट कंपनी को फायदा करने की मंशा से बनाया गया लगता है, जिसकी अमाउंट 60 करोड़ जीएसटी रखी गई है, इस टेंडर की एक शर्त के अनुसार इस टेंडर में वही कंपनी भाग ले सकती है जिस किसी कंपनी को बायो माइनिंग का 3 साल का अनुभव है, जो कि गलत है।
कोई भी कंपनी जो सॉलिड बेस्ट मैनेजमेंट का काम कर रही है, उसको भी भाग लेने की अनुमति होनी चाहिए, जैसे शहर की गंदगी और शहर साफ सुथरा होना आज बहुत जरूरी है और इसमें सभी शहरवासी अपना अपना योगदान डालें, अगर गीला और सूखा कूड़ा एक साथ नहीं रखा जा सकता उसका निस्तारन करने का टेंडर एक साथ कैसे लगाया जा सकता है।