वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी पर हुए बड़े हमले के बाद सऊदी के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने की मंजूरी दे दी है. इस बड़े हमले के पीछे अमेरिका ने ईरान को आरोपित किया है. अमेरिकी सेना ने कहा कि तैनाती में औसत संख्या में ही सैनिक शामिल होंगे, हजारों की संख्या में नहीं. मुख्य रूप से इसका उद्येश बाहरी हमलों को रोकने का है. इसमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दोनों को सैन्य उपकरणों की डिलीवरी में तेजी लाने की योजना है।
संमाचर एजेंसी रॉयटर्स ने पहले बताया है कि पेंटागन एंटी-मिसाइल बैटरी, ड्रोन और ज्यादा से ज्यादा फाइटर जेट भेजने पर विचार कर रहा था. अमेरिका इस क्षेत्र में एक विमानवाहक पोत को अनिश्चित काल के लिए रखने पर भी विचार कर रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एरिज़ोना ने एक समाचार ब्रीफिंग में कहा, “सऊदी के अनुरोध पर राष्ट्रपति ने अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है, जो बाहरी हमलों से रक्षा के लिए होगी और मुख्य रूप से हवाई और मिसाइल रक्षा पर केंद्रित होगी.” आगे उन्होंने कहा, “हम बचाव की क्षमता बढ़ाने के लिए सऊदी अरब और यूएई के राज्य को सैन्य उपकरणों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए भी काम करेंगे।
सैन्य संयम ने उनकी ताकत का पता चलता है
ट्रंप ने शुक्रवार को पहले कहा कि उनके सैन्य संयम ने उनकी ताकत का पता चलता है, उन्होंने इस हमले पर सबक सिखाने के लिए इरान पर पहले से भी ज्यादा आर्थिक प्रतिबंधों लगाया है. लेकिन अमेरिकी सैनिकों की तैनाती ईरान को और ज्यादा उग्र कर सकती है, जिसने इस साल अमेरिकी सेना की पिछली तैनाती का जवाब दिया है. हलांकि, ये सऊदी अरब पर हमले की जिम्मेदारी से इनकार करता है. सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब सैन्य गठबंधन यमन में हूती विद्रोहियों के साथ युद्ध में है. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है. सऊदी के तेल कंपनी पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है।
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