गुवाहाटी/नई दिल्ली। असम की बहुचर्चित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट शनिवार सुबह 10 बजे जारी हो गई। इस लिस्ट में 19 लाख लोग अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजारिका ने बताया कि कुल 3,11,21,004 लोग इस लिस्ट में जगह बनाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट से 19,06,657 लोग बाहर हो गए हैं।
दरअसल, जब मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ था, तब 40.7 लाख लोगों को इससे बाहर रखा गया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था। राजनीतिक दलों द्वारा गलत तरीके से लोगों को एनआरसी में शामिल करने या निकाले जाने के आरोपों के बीच अब आज इसे सार्वजनिक किया गया है। उधर, राज्य प्रशासन ने गुवाहाटी सहित संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
अधिकारियों ने बताया कि कार्यालयों में सामान्य कामकाज, आमजनों और यातायात की सामान्य आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है। राज्य सरकार ने लोगों को आश्वस्त भी किया है कि जिन लोगों के नाम शामिल नहीं होंगे, उनके पास आगे विकल्प रहेगा।
दो बार एनआरसी सेवा केंद्र (एनएसके) का दौरा
नबारूण गुहा अपनी कुर्सी पर बेचैनी की हालत में बैठे हुए हैं। गुहा पत्रकार हैं और जब उन्हें पता चला कि उनका नाम अंतरिम और अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हुआ है, उसके बाद से वह दो बार एनआरसी सेवा केंद्र (एनएसके) का दौरा कर चुके हैं। उन्हें अब भी विश्वास नहीं है कि शनिवार को जब रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स का अंतिम प्रकाशन होगा तो उनका नाम उसमें शामिल होगा अथवा नहीं। गुहा प्रख्यात इतिहासकार, अर्थशास्त्री और असम के कवि अमलेंदु गुहा के प्रपौत्र हैं और उनका परिवार 1930 से ही गुवाहाटी के पॉश उलुबारी इलाके में रह रहा है। उनके परिवार के सभी लोगों का मसौदा एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) में नाम है लेकिन उनका नहीं है।
गुहा ने कहा, ‘मेरे माता-पिता का देहांत हो चुका है, इसलिए उनका नाम शामिल किए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे पिता का नाम 1966 और 1970 की मतदाता सूची में शामिल था। मैंने उनके विरासत कोड का इस्तेमाल कर अपने वोटर पहचानपत्र के माध्यम से उनसे जुड़ा होना दिखाया था। फिर भी मेरा नाम शामिल नहीं किया गया।’ गुहा ने कहा, ‘वास्तव में इससे मुझे परेशानी होती है। मुझे नहीं पता कि मेरा नाम अंतत: शामिल होगा या नहीं। अगर एक गलती दो बार होती है तो यह तीसरी बार भी हो सकती है।’
संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू
ग्वालपाड़ा जिले के सोलमारी कल्याणपुर गांव के गणेश राय स्थानीय राजबांगशी समुदाय के हैं लेकिन उन्हें आशंका है कि उनका नाम अंतिम एनआरसी में शामिल नहीं होगा क्योंकि उन्हें डी-वोटर (संदेहास्पद) घोषित किया गया है। उन्होंने 2016 के विधानसभा चुनावों में वोट दिया था और उनकी बदली स्थिति के बारे में कभी भी नोटिस नहीं मिला जो एनआरसी सेवा केंद्र पर पूछताछ के दौरान उन्हें पता चला। बोडोलैंड स्वायत्तशासी क्षेत्र जिले (बीटीएडी) के कई बोडो और चाय आदिवासी चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि वे असम के स्थानीय निवासी हैं और कोई भी उन्हें उनकी जमीन से नहीं हटा सकता।
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