देहरादून। ‘मैं अपने भाइयों के साथ संघ की शाखा में इन चीजों के लिए नहीं गई थी। आरएसएस मेरे परिवार का एक हिस्सा है। मेरे घर के लड़के संघ के लिए मरे हैं। आम आदमी ये करे तो चलता है, लेकिन यदि वो नहीं रह सकते तो छोड़ दें प्रचारक का पद।
यह कहना है भाजपा के पदाधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पीड़िता का। आपको बता दें कि भाजपा में मीटू के खुलासे के बाद शनिवार को प्रदेश संगठन से जुड़े आरोपी पदाधिकारी को उनके पद से हटा दिया गया है।
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चूंकि आरोपी पदाधिकारी संघ की पृष्ठभूमि से हैं, लिहाजा इसकी आधिकारिक घोषणा संघ ही करेगा, यह कहते हुए सभी जिम्मेदार इस मसले पर कुछ भी कहने से बचते रहे। इधर, पीड़िता ने कहा कि वह आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना चाहती है, मगर उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा हो पाएगा।
पीड़िता और विनय गोयल के बीच बातचीत
पीड़िता का कहना है कि आखिर हमने क्यों अपना पूरा का पूरा संगठन एक आदमी की सनक के ऊपर छोड़ दिया है।’ यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी के यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता का। न्याय के लिए जब पीड़िता महानगर अध्यक्ष विनय गोयल से मिली तो उनके बीच हुए करीब दो घंटे के वार्तालाप को एक छुपे कैमरे में कैद किया गया।
मसलन, वार्तालाप के दौरान महानगर पीड़िता के फोन छीने जाने पर ही सवाल उठाते हैं। आरोपी पदाधिकारी के चरित्र पर पीड़िता के सवाल उठाने पर अध्यक्ष कहते हैं कि प्रचारक की भी शारीरिक नीड होती है, वो कोई खुदा का बंदा नहीं। पेश है संवाद के कुछ प्रमुख अंश जिनमें उजागर होने वाली बातें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और चाल, चरित्र चेहरे पर जोर देने वालों को सवालों के कठघरे में खड़ा करती है।
अगर ये महिला निकल कर आई है तो ये मेंटली प्रीपेयर होकर आई है
विनय गोयल- देखो, पहले जब आप आई थी, मैंने कहा था राजनीति में हर आदमी महिलाओं को गिद्ध की दृष्टि से देखता है। वो ये जानते हैं कि अगर ये महिला निकल कर आई है तो ये मेंटली प्रीपेयर होकर आई है। लोगों की ये सोच है। वो सब पर अधिकार समझते हैं।
पीड़िता-देखिए एक आम आदमी जाए और ये करे तो चलता है, पर जब आप संघ के प्रचारक हैं।
विनय- मैं एक बात बताऊं आपको कि पहली बात तो ये दिमाग से निकाल दो कि संघ का प्रचारक है तो वो कोई खुदा का बंदा हो गया।
पीड़िता-अगर वो नहीं रह सकते तो फिर आम जिंदगी में जाएं न
विनय- नो नो.. मैं बता रहा हूं आपको… क्या है कि ये एक शारीरिक नीड भी है और मतलब हमने ऐसे-ऐसे वर्णन देखे हैं, डिस्कस करना भी ठीक नहीं लगता। ऐसे ऐसे किस्से हैं…। समझे न बात को।
पीड़िता-अगर वो नहीं चला सकते तो छोड़ दें, क्यों बने हुए ?
विनय- ऐसा है न कि..
पीडिता- और बीजेपी अपने ऐसे पदाधिकारी का कुछ नहीं कर सकती तो कार्यकर्ता से क्यों उम्मीद करती है ?
(कुछ देर खामोशी…..)
विनय- मैं क्या कर सकता हूं
ये भी कहा
पीड़िता- पहला स्टेप तो वही है, दूसरा, उस कीचड़ को वाकई में हटाना है। मैं इस पार्टी के साथ ही बड़ी हुई हूं। आरएसएस मेरे परिवार का एक हिस्सा है मेरे घर के लड़के संघ के लिए मरे हैं। जो टाप लेवल के लोग हैं, वे जानते हैं। मैं यहां जीने आई ही नहीं। जरूरत पड़ेगी तो मैं अपने देश के लिए और अपने समाज के लिए मर सकती हूं।
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इतनी हिम्मत रखती हूं। हां न्याय से प्यार है। अन्याय न होने दूंगी, न सहूंगी। मुझे आपका सहयोग दो जगह चाहिए। पहला फोन वापसी और दूसरा जो गंद फैला है, इसको समेटने में मदद चाहिए। …क्यों हमने पूरा का पूरा संगठन एक आदमी की सनक के ऊपर छोड़ दिया है। क्यों जो भी हो रहा है, हम हर जगह शर्मिंदा होते हैं और फिर ढो रहे हैं।
हां, अगर मौका मिलेगा तो मैं उस कीचड़ को साफ जरूर करना चाहूंगी। मैं इतनी सी थी कि मैंने बीजेपी के लिए कैंपेन किया है। बहुत छोटी उम्र में भाईयों के साथ शाखाओं में गई हूं। इन चीजों के लिए नहीं किया था। (साभार-अमर उजाला)
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