डेली संवाद, कनाडा। Canada News: कनाडा (Canada), ब्रिटेन (United Kingdom), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और नीदरलैंड (Netherlands) जैसे देशों को छोड़कर भारतीय छात्र (Indian Student) और छात्राएं अब अमेरिका (US) की तरफ रूख कर रहे हैं। भारतीय छात्र और पढ़ाई के लिए अमेरिका (America) जा रहे हैं। यह बदलाव ऐसे नहीं आया। पिछले कुछ साल से कनाडा (Canada) के साथ भारत (India) के रिश्ते तल्ख हो गए हैं।
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कनाडा (Canada) के बाद ब्रिटेन (UK) लंबे समय से विद्यार्थियों के लिए पसंदीदा जगह रहा है लेकिन हाल की नीतियों ने इसे और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए ब्रिटेन (UK) में आश्रितों को लाने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर प्रतिबंध जारी रखने का योजना बनाई है।
Canada में सख्त उयाप लागू
अंतरराष्ट्रीय छात्रों (International Students) के प्रति स्वागतपूर्ण नजरिए के लिए मशहूर कनाडा (Canada) अब सख्त उपायों को लागू कर रहा है। स्थानीय सरकार कई कॉलेजों पर शिकंजा कस रही है, जिसके कारण कई कार्यक्रम बंद हो रहे हैं।
इसके अलावा नए नियमों में छात्र वीजा (Student Visa) जारी करने की सीमा और पोस्ट ग्रेजुएशन वर्क परमिट (Work Permit) जैसे प्रोत्साहनों को हटाना शामिल है। उधर कनाडा (Canada) की तरह ऑस्ट्रेलिया (Australia) भी छात्रों को लेकर प्रतिबंध लगा रहा है। जनवरी 2025 में नए छात्र वीजा नियम (Student visa rules) और अंतरराष्ट्रीय नामांकन की सीमा लागू हो जाएगी।
Australia में Visa आवेदन बढ़े
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार विदेशी छात्रों (Foreign students) के विश्वविद्यालयों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य अंग्रेजी में पढ़ाई जाने वाली डिग्री में अंतरराष्ट्रीय नामांकन को कम करना है। यह कदम यूरोप (Europe) में एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा माना जा रहा है।
सिडनी (Sydney) में सूचीबद्ध स्टूडेंट प्लेसमेंट सर्विसेज और टेस्ट कंपनी आईडीपी एजुकेशन (IDP Education) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की पहली तिमाही में यूके (UK), कनाडा (Canada) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के लिए वीजा आवेदन (Visa Application) पिछले वर्ष की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत कम हो गया है।
PR के लिए भारतीय छात्र कर रहे हैं इंतजार
आईडीपी (IDP) को लगता है कि इन प्रतिबंधों के कारण अगले साल अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बाजार (International Education Market) में गिरावट आएगी। अगर मौजूदा रुझान जारी रहे तो आईडीपी (IDP) के प्रमुख बाजारों में अपनी पढ़ाई शुरू करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 2025 तक 20 से 25 प्रतिशत तक घट सकती है।
भारतीय छात्रों (Indian Students) के लिए ये बदलाव महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत से छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर नौकरी (Job in Abroad) की संभावनाओं और विदेश में बसने (PR) के अवसर के वादे से आकर्षित होकर इन देशों का रुख करते हैं। वहीं, नए वीजा प्रतिबंधों और नामांकन कैप के साथ सपनों को साकार करना कठिन होता जा रहा है।
Visa Rules हुए सख्त
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत में लागू किए गए सख्त वीजा नियमों (Visa Rules) के कारण भारतीय छात्र (Indian Student) अब मास्टर डिग्री के लिए यूके (UK) के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से हिचकिचा रहे हैं। ये नियम विशेष रूप से परिवार के आश्रितों, जीवनसाथी या बच्चों को स्पॉन्सर करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करते हैं, साथ ही छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी होने तक वर्क वीजा पर स्विच करने से भी रोकते हैं।
America बना पसंदीदा जगह
एक ओर कनाडा (Canada) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) जैसे देश अपने नियमों को सख्त कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि अमेरिका (America) इस स्थिति से लाभान्वित हो रहा है। 11,500 से ज्यादा भविष्य के और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आडीपी (IDP) सर्वे अनुसार, अमेरिका (US) ने पसंदीदा अध्ययन गंतव्य के रूप में ऑस्ट्रेलिया (Australia) को पीछे छोड़ दिया है।
न्यूज एजेंसी एपी ने मार्च 2024 में बताया कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों (American Universities) ने भारत (India) से लगभग 269,000 छात्रों को नामांकित किया है और यह संख्या बढ़ती जा रही है, जिसमें 2022-23 शैक्षणिक वर्ष में 35 फीसद की बढ़ोतरी शामिल है। वहीं, भारत अमेरिका के कॉलेज परिसरों में सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति के रूप में चीन (China) की जगह लेने के कगार पर है।
US में अच्छे कालेज
इसके अलावा, यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट (US News and World Report) के अनुसार, लगभग आधे सबसे अच्छे वैश्विक विश्वविद्यालय (Global University) अमेरिका (US) में हैं। स्नातक अध्ययन से लेकर पीएचडी-स्तर के कार्यक्रमों तक, अमेरिका के विश्वविद्यालय (Universities of America) सभी विषयों में शीर्ष रैंक वाले शैक्षणिक अवसर प्रदान करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के आर्थिक लाभों के बावजूद, राजनीतिक वास्तविकताएं इन देशों में नीतिगत परिवर्तनों को आगे बढ़ा रही हैं। यूके (UK) में पिछली सरकार की ओर से यह सुनिश्चित करने के उपायों की समीक्षा की जा रही है कि शिक्षा क्षेत्र का उपयोग अप्रवास के प्रवेश द्वार के रूप में न किया जाए।
UK में छात्रों का स्वागत
अभियान के दौरान लेबर पार्टी (Labor Party) के एक नेता क्रिस ब्रायंट (Kris Bryant) ने आश्वासन दिया कि पार्टी निर्वाचित होने पर देश में आश्रितों को लाने पर प्रतिबंध को वापस नहीं लेगी। हालांकि, यूके (UK) की शिक्षा सचिव (Education Secretary) ब्रिजेट फिलिप्सन (Bridget Phillipson) ने हाल ही में कहा कि बहुत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मूल्यवान गेस्ट के रूप में नहीं, बल्कि राजनीतिक फुटबॉल के रूप में माना जाता रहा है।
ऑस्ट्रेलिया खेल रहा है बड़ा दांव
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया (Australia) की स्थिति शायद सबसे गंभीर है। अंतरराष्ट्रीय छात्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2023 में अनुमानित 48 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर ($31.6 बिलियन) पैदा हुए। हालांकि, नई नीतियां इस राजस्व को जोखिम में डाल सकती हैं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार (Australian Government) की योजनाओं में व्यक्तिगत विश्वविद्यालयों और आवास निर्माण आवश्यकताओं के लिए नामांकन सीमाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कठिन अंग्रेजी भाषा मानकों का सामना करना पड़ रहा है और वीजा (Visa) अस्वीकृतियां ज्यादा आम होती जा रही हैं। वीजा आवेदन शुल्क (Visa application fee) को दोगुना करके 1,600 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (Australian dollar) करने से ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सबसे महंगा देश बन गया है।
भारतीय छात्रों को कौन सा देश पसंद है
तमाम चुनौतियों को देखते हुए भारतीय छात्र (Indian Students) तेजी से वैकल्पिक गंतव्यों की तलाश कर रहे हैं। यूके (UK), कनाडा (Canada) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) लोकप्रिय बने हुए हैं, लेकिन यूएस (US) और कनाडा (Canada) में भारतीय छात्रों की सबसे बड़ी संख्या आकर्षित हो रही है।
एक अध्ययन के अनुसार, 2023 की पहली छमाही के दौरान नामांकित सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों (International Students) में से 34 प्रतिशत यूएस (US) और कनाडा (Canada) में हैं। यूके (UK) में 13 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया (Australia) में 12 प्रतिशत और फ्रांस (France) में 7 प्रतिशत छात्र हैं।