डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: पंजाब में दल-बदल का सिलसिला लम्बे समय से चल रहा है। दरअसल, पंजाब में चुनावी सीजन में अक्सर नेता लोग एक दल छोड़कर दूसरे दल में आते-जाते देखे जाते हैं और पिछले दिनों में पंजाब में ऐसे नेताओं की खूब भरमार रही, जिन्होंने अपने पुराने पार्टी को छोड़कर नया पार्टी ज्वाइन कर लिया।
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उनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लेकर कांग्रेस (Congress) तथा शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता भी शामिल रहे। इनमें से कई आम आदमी पार्टी में गए तो कई भाजपा में किसी को विधायक बनने का शौक था, किसी को सांसद तो किसी को सिक्योरिटी वाला लाव-लश्कर लेकर चलने का शौक था।
जिसको जो जरूरत थी, वह मिल गया, वह तो खुश रहा लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे, जो जरूरत से ज्यादा ऊंची उड़ान उड़ने के चक्कर में धड़ाम हो गए।
‘आफ मूड’ के साथ जालंधर की सड़कों पर दिख रहे नेता जी
पंजाब के एक ऐसे ही नेता जी इन दिनों फिर चर्चा में हैं, जो करीब एक साल में ही तीन अलग- अलग राजनीतिक पार्टियों का लुत्फ ले चुके हैं। पता चला है कि यह नेता जी अब फिर से पार्टी बदलने का मूड बना रहे हैं, वैसे यह पहले किसी समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हुआ करते थे।
लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बाद दूसरे दल में आते-आते वरिष्ठ से यह मामूली नेता बनकर रह गए। सिक्योरिटी वाला लाव-लश्कर तो मिल गया, लेकिन कुछ हसरतें बीच में ही रह गईं, जिसके कारण नेता जी एक बार फिर से ‘आफ मूड’ के साथ अपनी भारी-भरकम गाड़ी में जालंधर की सड़कों पर देखे जा रहे हैं।
नेता जी की हसरतें अभी भी बाकी
सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि 3 दलों का स्वाद चखकर अब यह नेता जी घर वापसी की प्लानिंग कर रहे हैं। यह प्लानिंग शायद इस सोच के साथ की जा रही है कि अगर आने वाले समय में उनकी मातृ पार्टी की सरकार सत्ता में आ गई तो शायद उन्हें दोबारा हसरत पूरी करने का मौका मिल जाए।
वैसे यह नहीं कि दूसरे दलों ने उनकी हसरतों को नहीं समझा या उनकी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए कोशिश नहीं की। दरअसल नेता जी ने ही इतनी पार्टियां बदल ली, कि उनके शहर के लोगों को वह रास आने बंद हो गए। और उन्हें विधायक और सांसद दोनों चक्करों से छुटकारा दिलवा दिया।
प्रमुख पार्टी का स्वाद चखना बाकी
पता चला है कि नेता जी एक बार फिर से दोबारा सक्रिय हैं और अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में जाने के लिए फिर से आतुर हैं। पता चला है कि कुछ बड़े नेताओं के वह संपर्क में आ चुके हैं और ताजा पार्टी से जल्द ही उनकी विदायगी तय बताई जा रही हैं।
यह भी संभव है कि अपनी पुरानी पार्टी में जाकर यह नेता जी फिर टिकट मांगेंगे, फिर चुनाव लड़ेंगे, जीत गए तो बल्ले बल्ले और अगर हार गए तो पंजाब में कौन सी राजनीतिक दलों की कमी है। वैसे नेता जी ने अभी शिरोमणि अकाली दल का स्वाद नहीं चखा है।