डेली संवाद, कनाडा। Canada News: कनाडा के पीएम ट्रूडो की सत्ता हिलाने के लिए विपक्ष ने पूरी तैयारी कर ली है। चुनाव से पहले ट्रूडो के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) अक्सर भारत विरोधी बयान देते रहते हैं।
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पिछले साल 2023 में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद उन्होंने भारत की भूमिका पर सवाल उठाए थे। तभी से भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई है।
समय-समय पर भारत (India) को पसंद न आने वाले मुद्दों पर बयान देने वाले ट्रूडो अपने ही देश में बुरी फंस गए हैं। उनके निज्जर पर दिए गए बयान पर कंजर्वेटिव पार्टी के चीफ और विपक्षी नेता पियरे पोइलिर्वे (Pierre Poilievre) ने कहा था कि ट्रूडो भारत के साथ रिश्तों की कीमत नहीं समझ पाए हैं। अब ट्रूडो की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है।
महंगाई आसमान छूने लगी
कनाडा अपने आसान वीजा, इमिग्रेशन पॉलिसी और विदेशी छात्रों की पहली पसंद के लिए जाना जाता है। कनाडा में परमानेंट रेजिडेंसी (PR) लेना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होता है।
लेकिन ट्रूडो शासन के कुछ सालों में वहां महंगाई आसमान छूने लगी है, घरों की कीमत बढ़ गई है और टैक्स बढ़ाया गया है। इस वजह से विदेशी वर्कर्स और छात्र ही नहीं बल्कि कनाडा वासियों का भी ट्रूडो से मोहभंग हो गया है और वे सत्ता से बेदखल होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
विपक्षी नेता पोलीवरे ने मंगलवार को हाउस ऑफ कॉमन्स की बैठक में ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और सांसदों से लिबरल सरकार को हटाने का आग्रह किया।
ले रहे विचारधारा से उलट फैसले
कनाडा में अगले साल प्रधानमंत्री के लिए आम चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले हुए सर्वों में ट्रूडो को पिछड़ता दिखाया गया है। ट्रूडो भी अपने खिलाफ पनप रहे गुस्से को भांप गए हैं और पार्टी विचारधारा से हटकर भी फैसले लेने लगे हैं।
प्रधानमंत्री ट्रूडो कनाडा की लिबरल पार्टी से आते हैं, लिबरल पार्टी सेंटर लेफ्ट मानी जाती है, जो सोशलिज्म विचारधारा पर चलती है।
हाल ही में ट्रूडो ने ऐलान किया है कि वे वर्क परमिट और स्टूडेंट वीजा कम करेंगे, जिसके बाद कनाडा में अच्छी जिंदगी का ख्वाब देखने वाले भारतीय समेत कई विकासशील देशों के छात्रों-युवाओं को झटका लगा है। इसके अलावा वहां काम कर रहे लोगों पर भी जॉब जाने का खतरा मंडराने लगा है।
विपक्ष हावी, साथियों ने छोड़ा साथ
कनाडा में बढ़ी घरों की कीमत, महंगाई और बेरोजगारी के बाद ट्रूडो के खिलाफ देश में गुस्सा बढ़ने लगा है। उनके प्रतिद्वंद्वी पियरे पोइलिर्वे इस मौके का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और जगह-जगह ट्रूडो की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
पिछले एक साल से ज्यादा से हो रहे सर्वो कंजर्वेटिव पार्टी के पक्ष में रहे हैं और अगर अगले चुनाव तक यही हाल रहा तो कनाडा में कंजर्वेटिव बहुमत वाली सरकार बन सकती है।
NDP ने तोड़ दिया गठबंधन
वहीं ट्रूडो की पार्टी के गठबंधन में शामिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने उनसे गठबंधन तोड़ दिया है। NDP के अध्यक्ष भारतीय मूल के सिख जगमीत सिंह हैं। भारत में जगमीत सिंह को भी खालिस्तानी समर्थक के रूप में देखा जाता है, लेकिन ट्रूडो की खालिस्तानी पैरवी के बावजूद उन्होंने लिबरल पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
जगमीत सिंह पोलीवरे के भी विरोधी हैं और उनके खिलाफ भी बयान देते रहते हैं। पियरे के हेल्थ केयर नीति पर बोलते हुए जगमीत ने कहा कि वे स्वास्थ्य सेवा को ईंट-दर-ईंट तोड़ देंगे आगर वे सत्ता में आए तो आपको बीमारी के वक्त अच्छी केयर नहीं मिल सकती है। जगमीत ने आरोप लगाते हुए कहा कि पियरे आपका पैसे देश के चंद संपन्न लोगों को देना चाहते हैं।
ट्रूडो के विपक्षी भारतीयों के लिए होंगे नुकसानदायक
कनाडा के मुख्य विपक्ष नेता पियरे पोइलिर्वे की प्रधानमंत्री के लिए लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। मगर जानकार उनको प्रवासियों के लिए खतरनाक मानते हैं, वे कंजरवेटिव पार्टी से आते हैं, जोकि एक सेंटर राइट विंग पार्टी है और उसकी नीतियां प्रवासी विरोधी हैं।
जानकार मानते हैं कि अगर पियरे सत्ता में आए तो विदेशी वर्कर, छात्रों के विरोध में वे कई नीतियों को लागू कर सकते हैं।