डेली संवाद, कनाडा | Canada Students News: कनाडा में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा संकट सामने आया है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में तेजी से कमी आई है, जिससे कनाडा के कई कॉलेज और विश्वविद्यालय आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान भारतीय छात्रों की कमी का है, जो अन्य देशों के छात्रों की तुलना में काफी अधिक फीस देते थे।
ट्रूडो सरकार की नीतियों का असर
ट्रूडो सरकार की नीतियों के कारण कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है। स्टूडेंट कैप और अन्य नियमों के चलते छात्र अब कनाडा की बजाय अन्य देशों में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। इससे कनाडा के शिक्षा संस्थानों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
लैंगारा कॉलेज का संकट
लैंगारा कॉलेज, जो ब्रिटिश कोलंबिया के सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाले कॉलेजों में से एक है, इस संकट से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कॉलेज के अध्यक्ष पाउला बर्न्स ने बताया कि पिछले साल की तुलना में अंतरराष्ट्रीय आवेदनों में 79 प्रतिशत की कमी आई है। इसके कारण कॉलेज के बजट में कटौती करनी पड़ रही है और फैकल्टी सदस्यों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
दूसरे कॉलेजों की स्थिति
लैंगारा कॉलेज अकेला ऐसा संस्थान नहीं है जो इस संकट का सामना कर रहा है। साइमन फ्रेजर यूनिवर्सिटी, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी और वैंकूवर आइलैंड यूनिवर्सिटी भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन संस्थानों में भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी आई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है।
कनाडा के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक थी। ये छात्र स्थानीय छात्रों की तुलना में चार गुना अधिक ट्यूशन फीस देते थे। अब, जब इनकी संख्या में कमी आई है, तो कॉलेजों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। पिछले वर्ष लैंगारा कॉलेज में 7,500 अंतरराष्ट्रीय छात्र थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय थे।
फीस में वृद्धि की संभावना
अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी के कारण अब कनाडा के कॉलेज और विश्वविद्यालय ट्यूशन फीस में वृद्धि करने की सोच रहे हैं। ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक अंतरराष्ट्रीय छात्र को प्रति वर्ष 45,000 डॉलर ट्यूशन फीस देनी पड़ सकती है, जो घरेलू छात्रों की तुलना में पांच गुना ज्यादा है।