कनाडा से डेली संवाद के लिए राजीव वधवा की रिपोर्ट। Canada News : कनाडा में रहने वाले छात्रों और भारतीय खासकर पंजाब के लोगों की हालत खराब है। स्थिति यह है कि वर्क परमिट धारकों के लिए स्थिति दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही है। कनाडा के कई शहरों में पंजाब के स्टूडैंट बेसमेंट में रहने को मजबूर हैं।
कनाडा में भारतीयों की स्थिति को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह के वीडियो भी वायरल हो रही है। वायरल हो रहे वीडियो में भारतीय खासकर पंजाबियों की स्थिति को दिखाया गया है। किस तरह से एक बेसमेंट कई लोग एक साथ रहने को मजबूर हैं।
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Canada में बेसमेंट भीड़भाड़ की समस्या
Canada में कई बेसमेंट में स्थिति यह है कि एक छोटे से क्षेत्र में कई लोग रहने को मजबूर हैं। कुछ मामलों में, एक बेसमेंट में 8 से 10 लोग भी रहते हैं। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि सुरक्षा के अप्प्रोच से भी खतरनाक हो सकता है।
किराए की उच्च दरें
टोरंटो, वैंकूवर और मॉन्ट्रियल जैसे बड़े शहरों में किराए बहुत अधिक हैं। इस कारण लोग मजबूरन सस्ते आप्शन की तलाश करते हैं। विनिपेग, नोवा स्कोशिया और सास्काचेवन जैसे प्रांतों में किराए कम हैं, लेकिन यहां लोगों की आमदनी भी कम है। इस कारण वहां भी लोग एक ही कमरे में कई-कई लोग रहने को मजबूर हैं।
आमदनी और खर्च
औसतन, Canada वर्क परमिट वाले लोगों की आमदनी 2,000 से 2,500 डॉलर के बीच होती है। इस मामूली आमदनी से किराया, खाने-पीने और अन्य जरूरतों का खर्च निकालना मुश्किल हो जाता है। इस कारण लोग सस्ते और भीड़भाड़ वाले स्थानों में रहने का आप्शन चुनते हैं।
शिक्षा और काम का संतुलन
Canada छात्र और वर्क परमिट धारक दोनों ही अपनी शिक्षा और काम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन, खराब रहने की स्थिति उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। न ठीक से सो पाना, न पढ़ाई के लिए उचित वातावरण मिल पाना – ये सभी समस्याएं उनके जीवन को और अधिक कठिन बना देती हैं।
सरकार की दखल की जरूरत
इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकारी दखल की आवश्यकता है। सस्ते और सुरक्षित रेजिडेंशियल आप्शन की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, छात्रों और वर्क परमिट धारकों के लिए विशेष योजनाओं का Implementation होना चाहिए जिससे वे बेहतर जीवन जी सकें।
वीडियो का प्रभाव
इस वीडियो ने इस गंभीर मुद्दे को उजागर किया है। इसे देखकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है और कई लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उम्मीद है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगी।