डेली संवाद, जालंधर। Gay in Jalandhar: पंजाब (Punjab) के जालंधर शहर (Jalandhar City) में गे (Gay) का धंधा (Gay Business) चल रहा है। शहर के बल्टर्न पार्क (Burlton Park) इसके लिए धीरे-धीरे बदनाम होता जा रहा है। जिस बल्टर्न पार्क में कभी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच हुआ था, जिस जगह से खेलकर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) भज्जी दुनिया में मशहूर हुए, जिस बल्टर्न पार्क से कई धुरंधर खिलाड़ी निकले, वहां आज गे किस्म के लोग एकजुट हो रहे हैं।
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जालंधर के बल्टर्न पार्क को फिर से Sports Hub बनाने के लिए जहां सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं इस बड़े स्थान को शहर की गे मंडली ने अपना बिजनेस हब (Business Hub) बनाना शुरू कर दिया। स्थिति यह है कि शाम होते ही यहां गे लड़कों का जमघट शुरू हो जाता है। इसके बाद फोन काल और WhatsApp पर इनका धंधा शुरू होता है।
गे पार्टी में बियर से लेकर गांजा तक
सूत्र बता रहे हैं कि रात 8 बजे से लेकर देर रात करीब 11 बजे तक बल्टर्न पार्क के एक हिस्से में गे मंडली का मिलना जुलना शुरू हो जाता है। इसमें गे लड़कों के अलावा शहर के कुछ शौकीन लोग शाम रंगीन करने पहुंचते हैं। सूत्रों के मुताबिक गे मंडली में बियर, शराब, सिगरेट और गांजा जमकर उड़ाए जाते हैं।
‘बल्टर्न पार्क में छतरी वाला पार्क’
सूत्रों के मुताबिक इन गे लड़कों ने अपना कोर्ड वर्ड भी बना रखा है। कोर्ड वर्ड है प्रेम करने का स्थान ‘बल्टर्न पार्क में छतरी वाला स्थान’ कोड वर्ड (Code Word) यूज किया जाता है। इस कोड वर्ड से सब लोग एक दूसरे के साथ मिलते हैं और फिर प्रेम का धंधा शुरू होता है।
शहर के शौकीन लोग करते हैं एंज्वाय
सूत्रों के मुताबिक गे लड़कों के ग्रुप में शहर के कुछ शौकीन लोग भी होते हैं, इसके अलावा हाई क्वालीफाईड लड़के भी शामिल हैं। सूत्र बता रहे हैं कि अगर किसी को एक्सट्रा सर्विस चाहिए तो ये गे लड़के बाहर भी जाने के लिए तैयार होते हैं, उसके लिए अलग से फीस तय की जाती है।
आपको बता दें कि बल्टर्न पार्क के आसपास शहर के नामी गिरामी शिक्षण संस्थान हैं, जिससे यहां के छात्रों पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जिससे युवा पीढ़ी इस कुचक्र में फंस सकती है। यही नहीं, आसपास के रिहाइशी इलाके के लोग इससे परेशान हैं।
बल्टर्न पार्क का इतिहास
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जालंधर का एक कमिश्नर था बर्ल्टन। इस बाग को उस समय के कुछ धनवान लोगों ने धनराशि देकर सजाया-संवारा और इसे बर्ल्टन पार्क का नाम दे दिया। यह पार्क गांधी नगर और कबीर नगर के निकट स्थित है।
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आज यहां क्रिकेट स्टेडियम और एक हॉकी स्टेडियम है। इसे अब गांधी पार्क के नाम से भी पुकारा जाता है। इसका निर्माण अठारहवीं शताब्दी के पूर्व का माना जाता है। तब यह शाही बाग के नाम से जाना जाता था ।
अंगूरों वाले बाग के नाम से भी प्रसिद्ध था रानी बाग
इसके बारे में दो प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह बाग क्वीन विक्टोरिया को समर्पित करके बनाया गया था। कुछ बड़े-बूढ़े ऐसा नहीं मानते। उनके अनुसार यह बाग किसी बड़े सेठ ने अपनी पत्नी के पेड़-पौधों से लगाव को सामने रखकर बनाया था। इस बाग में पहले-पहल फूलों के भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधे रोपे गए थे।