डेली संवाद, मुंबई। Pradeep Sharma: मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा (Encounter Specialist Pradeep Sharma) को 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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निचली अदालत ने इसी मामले में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था। यह मामला अंडरवर्ल्ड सरगना छोटा राजन के कथित सहयोगी रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर से संबंधित है। उच्च न्यायालय ने आज यह फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपितों के खिलाफ उपलब्ध भारी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था।
अन्य आरोपियों की उम्रकैद की सजा भी बरकरार रखी
उच्च न्यायालय ने इसी मामले में 13 अन्य आरोपियों की उम्रकैद की सजा भी बरकरार रखी है। इनमें 12 पुलिसकर्मी एवं एक नागरिक शामिल है। जबकि 6 नागरिकों को बरी कर दिया गया है। इस मामले में आरोपित रहे एक पुलिस अधिकारी और एक नागरिक की मृत्यु हो चुकी है। दोषसिद्धि के बाद उनके निधन के कारण उन पर मामला समाप्त कर दिया गया है।
आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा
उच्च न्यायालय ने प्रदीप शर्मा को तीन सप्ताह में समर्पण करने को कहा है। उच्च न्यायालय ने जिन 12 पुलिसकर्मियों की आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा है, उनके नाम दिलीप पलांडे, नितिन सरतापे, गणेश हरपुडे, आनंद पटाडे, प्रकाश कदम, देवीदास सकपाल, पांडुरंग कोकम, रत्नाकर कांबले, संदीप सरदार, तानाजी देसाई, प्रदीप सूर्यवंशी और विनायक शिंदे हैं। यह फैसला जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और गौरी गोडसे की बेंच ने सुनाया है।
मुठभेड़ की योजना शर्मा द्वारा बनाई गई थी
ट्रायल कोर्ट द्वारा शर्मा को बरी किए जाने का फैसला जुलाई 2013 में आया था। इस मामले की जांच का जिम्मा संभाल रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) का कहना था कि इस मुठभेड़ की योजना शर्मा द्वारा बनाई गई थी। बता दें कि 11 नवंबर 2006 को लखन भैया का कथित तौर पर वाशी से अपहरण कर लिया गया था और बाद में उसकी फर्जी तरीके से हत्या कर दी गई थी।
मुठभेड़ का नेतृत्व प्रदीप शर्मा कर रहे थे
वर्सोवा में नाना-नानी पार्क के पास हुई इस मुठभेड़ का नेतृत्व प्रदीप शर्मा कर रहे थे। उच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए निचली अदालत के जज की तीखी आलोचना की है। अदालत ने माना है कि सभी परिस्थितियां शर्मा के अपराध की ओर इशारा करती हैं। जबकि ट्रायल कोर्ट ने उसके खिलाफ उपलब्ध सभी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था।
यूपी के आगरा के रहने वाले हैं प्रदीप शर्मा
उत्तर प्रदेश में आगरा के निवासी प्रदीप शर्मा महाराष्ट्र पुलिस बल के 1983 बैच के अधिकारी हैं। मुठभेड़ के रूप में 113 हत्याओं में शामिल होने के कारण उनकी ख्याति एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में हो गई थी। अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के मामले में अगस्त 2008 में उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। बताया जाता है कि फिल्मकार राम गोपाल वर्मा द्वारा बनाई गई फिल्म ‘अब तक छप्पन’ उनके चरित्र पर ही आधारित है।
ठाणे में जबरन वसूली सेल के प्रमुख
इस मामले में कुछ समय बाद ही वह बरी हो गए थे। लेकिन लखन भैया मामले में आरोपित होने के बाद उन्हें गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा और उन्हें पुनः बर्खास्त कर दिया गया था। लखन भैया मामले में 2013 में बरी होने के बाद 2017 में एक बार फिर वह पुलिस सेवा में बहाल हुए, और ठाणे में जबरन वसूली सेल के प्रमुख बनाए गए।
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2019 में उन्होंने पुलिस सेवा से त्यागपत्र देकर शिवसेना के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा। लेकिन जीत नहीं सके। फिर 2021 में एंटीलिया बम कांड एवं ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में भी उनकी गिरफ्तारी हुई। अब उन्हें लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चकी है। इस प्रकार उनका पूरा कैरियर विवादों से भरा रहा है।