डेली संवाद, नई दिल्ली। Rahul Gandhi: कांग्रेस (Congress) नेता और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पिछले 10 दिनों में तीसरी बार चुनाव आयोग (Election Commission) की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया है। राहुल गांधी ने शनिवार को फिर से कहा कि भारत का चुनाव प्रणाली मर चुका है। हम आने वाले कुछ दिनों में आपको साबित कर देंगे कि लोकसभा चुनाव में कैसे धांधली हो सकती है और हुई भी।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि भारत के पीएम के पास बहुत कम बहुमत है। अगर 10-15 सीटों पर भी धांधली न होती तो वे भारत के प्रधानमंत्री भी नहीं होते। राहुल (Rahul Gandhi) ने ये बातें दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एनुअल लीगल कॉन्क्लेव- 2025 में कहीं।
एटम बम फटेगा
इससे पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 1 अगस्त को कहा था कि, चुनाव आयोग (Election Commission) वोटों की चोरी करा रहा है। हमारे पास एटम बम है। जब फटेगा तो चुनाव आयोग बचेगा नहीं। राहुल के इस बयान का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को जवाब दिया। राजनाथ बोले- अगर आपके पास परमाणु बम है तो उसे फोड़ दें। हां इतना ख्याल रखें कि आप सुरक्षित रहें।
राहुल गांधी के आरोप
साल 2014 से ही मुझे इलेक्शन सिस्टम पर संदेह रहा है। भाजपा का इतनी बड़ी जीत हासिल करना आश्चर्यजनक था। मैं बिना सबूत के कुछ नहीं कह सकता था, लेकिन अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूं कि हमारे पास सबूत हैं। लोकसभा में, हम चुनाव जीते। और फिर चार महीने बाद, हम न केवल हारे, बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गए। हमने पाया कि महाराष्ट्र में, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच एक करोड़ नए मतदाता जुड़े। इनमें से ज्यादातर वोट भाजपा को जाते हैं।
संविधान की रक्षा करने वाली संस्था को मिटाकर उस पर कब्जा कर लिया गया है। हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो पूरे देश को दिखा देंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह गायब हो गई है। चुनाव आयोग जैसी संस्था ठीक से काम नहीं करती। आपको जानकर हैरानी होगी कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज उपलब्ध कराता है, उन्हें स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग मतदाता सूची पर स्कैन और कॉपी प्रोटेक्शन क्यों लागू करता है?
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव प्रणाली पर लगातार निशाना साध रहे राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जवाब दिया था। चुनाव आयोग ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ऐसे निराधार आरोपों को नजरअंदाज करता है। लगातार दी जा रही धमकियों के बावजूद, हम सभी चुनाव अधिकारियों से कहना चाहते हैं कि वे पहले की तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करें। गैरजिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करें।