डेली संवाद, अमृतसर (रमेश शुक्ला सफर)। Punjab News: राइट टू इन्फॉर्मेशन (RTI) अब आम लोगों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की हथियार बन गई है। देश में अब तक बड़े-बड़े खुलासे आरटीआई से हो रहे हैं। ऐसे ही आरटीआई का जवाब अमृतसर (Amritsar) विजिलेंस विभाग (Vigilance Department) को न देना डीजीपी (DGP) पंजाब के लिए महंगा पड़ गया।
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मामले में कई राज छुपे हैं। हुआ यूं कि अमृतसर के आजाद नगर निवासी एवं आजाद भारत में आजाद सोच रखने वाले राजविंदर सिंह (आरटीआई एक्टीविस्ट) ने अमृतसर के विजिलेंस विभाग से आरटीआई से जवाब मांगा था। लेकिन अमृतसर विजिलेंस विभाग में तत्कालीन सुपरिटेंडेंट मीना कुमारी ने जवाब देने में आनाकानी की तो फर्स्ट अपील के बाद मामला पहुंच गया (पीआईओ) डीजीपी पंजाब के पास।
डीजीपी को ही पांच हजार का जुर्माना
पंजाब स्टेट इनफार्मेशन कमीशन ने राजविंदर सिंह की अपील पर डीजीपी पंजाब को तलब किया लेकिन वो नहीं आए, फिर क्या था पंजाब स्टेट इनफार्मेशन कमीशन ने डीजीपी को ही पांच हजार का जुर्माना देने के आदेश जारी कर दिए।
राजविंदर सिंह (राज) ने डेली संवाद से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने निजी मामले को लेकर आरटीआई का सहारा लिया था लेकिन अमृतसर के विजिलेंस विभाग ने उन्हें सूचना नहीं दी तभी उन्हें पंजाब स्टेट इनफार्मेशन कमीशन का दरवाजा खटखटाना पड़ा। समय से आरटीआई का जवाब ने देने के चलते डीजीपी को जुर्माना किया गया।
100 से अधिक आरटीआई लगा चुके हैं
राजविंदर सिंह बताते हैं कि पहले तो उन्होंने अपने लिए आरटीआई को हथियार बनाया था लेकिन बाद में जनता हित के लिए वो आरटीआई से जानकारी मांगने लगे। अब तक सौ से अधिक आरटीआई वो मांग चुके हैं। कहते हैं कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा होगा लेकिन पंजाब स्टेट इनफार्मेशन कमीशन के आदेशों के बाद आखिरकार डीजीपी को जुर्माना भरना पड़ा।
खास बात है कि पंजाब में पहली बार हुआ है कि डीजीपी को जुर्माना किया गया। पंजाब स्टेट इनफार्मेशन कमीशन ने लिखित तौर पर कहा कि आरटीआई का जवाब ने देना बहुत ही सीरियस मामला है, ऐसा नहीं होना चाहिए। बता दें, 2020 से ही राजविंदर सिंह राज आरटीआई से अपने हक की जंग लड़ रहे हैं।
स्थानीय अधिकारी आनाकानी करते हैं
बताते हैं कि आरटीआई का जवाब न देने के लिए ऐसा प्रावधान होना चाहिए। अक्सर जवाब देने में स्थानीय अधिकारी आनाकानी करते हैं और भुगतना आला अधिकारियों को पड़ता है। आरटीआई एक्ट 2005 के तहत हर भारतीय नागरिक को अधिकार है कि वो अपने से जुड़ी व जनता से जुड़ी कोई भी जानकारी मांग सकता है, बशर्ते देश की सुरक्षा से जुड़ा या गोपनीय दस्तावेज न हो जो देश के हित में न हो।