Smriti Irani: 25 मई 2007, यानि की 17 साल पहले 140 मिनट की फिल्म चीनी कम (Cheeni Kum) अगर अमेठी (Amethi) की पूर्व सांसद और पूर्व एक्टर स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने देखी होती तो शायद वो चुनाव नहीं हारती। यह कहते हुए राजा राम ने शर्मा टी स्टाल पर कौन बनेगा प्रधानमंत्री की बहस में ऐसे कूद पड़े जैसे 2024 के चुनाव नतीजे में PM की दावेदारी लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सीक्रेट टीम।
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उधर, बगल में चाय की चुस्की लगाते हुए राम भवन के कानों ने जैसे ही सुना उसे दिमाग तक पहुंचाया ही था कि हाथ जैसे गिलास गिर ही जाता मुंह में जाने वाली चाय छलक ऐसे नीचे आ गिरी जैसे यूपी में बीजेपी। खैर, कहने लगे स्मृति ईरानी की हार और जीत से फिल्म का क्या ताल्लुक। सवाल वाजिब था, मैं भी मूक बनकर सब कुछ देखता रहा, जवाब क्या मिलेगा वो सोचता रहा।
राम भवन के सवाल सुनते ही राजा राम के चेहरे पर वैसी ही मुस्कान दिखी जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर कल शाम पार्टी के मुख्यालय पर दिखी थी। बड़े इत्मीनान से राजा राम कहने लगे स्मृति ईरानी इसलिए हारी क्योंकि उन्होंने चीनी 13 रूपए में बेचने का वादा किया था , पूरी कर न पाई । जबकि फिल्म में अमिताभ बच्चन ने वादा निभाया था, चीनी कम थी लेकिन एक्टिंग खूब थी, तब्बू भी थी।
यह फ़िल्म डायबिटीज पेशेंट अब भी खूब देखते है, इन्होंने तो सास भी कभी बहू थी शो में आदर्श बहू थी, लेकिन वास्तव में चीनी कम हो गई, राहुल गांधी को हराने के बाद पप्पू कहकर जिसे ताना मारा करती थी उसी के निजी सहायक ने निजी हार का कलंक किशोरी लाल ने लगा दिया है, खैर हार जीत तो लगी रहती है।
राम भवन ने जवाब सुनते ही कहा कि स्मृति ईरानी वास्तव में जनता के बीच कम रही लेकिन उनकी कमी संसद और पीएम को खलती रहेगी, पार्टी की 5 स्टार है, अगर पीएम मोदी जी गलती न हुई तो 5 सरकार 5 साल तक वर्ना 5 मिनट का भरोसा नहीं। पलटी बाबू कब पलटी मार जाएं या फिर नायडू बाबू,बाबू बाबू कहते मोदी का दामन छोड़ हाथ कांग्रेस से मिला लिया तब कौन बनेगा पीएम ?
सवाल राजा राम पर सीधा था तभी बगल बैठे दशरथ बोल पड़े कि हमारी मानों या ना मानों बीजेपी को अहंकार हो गया था तभी सबक सिखाया है या तो यह बात हो सकती है या फिर स्वार्थी निकले ऐसे यूपी वाले जिन्होंने हरा दिया दोनों सवालों का जवाब एक ही है कि जो राम को लाएं हैं, उन्हें हम लाएंगे, यह एक भजन ने सारी गेम बिगाड़ी है।
हां राम जी को भवन दिया है, राजा राम के समय यानि राम राज्य की तुलना देने से यह केवल सबक मिला है लेकिन PM तो मोदी ही बनेंगे, यह सुनते ही राजा राम और राम भवन के चेहरे पर तसल्ली के लक्षण दिखे तो मैं भी चुप होकर बस तीनों सज्जन के नामों को अपने दिमाग में कैद कर मन ही मन यह सोचने लगा कि शायद मोदी जी के मन की बात गांव गांव पहुंच नहीं पाई क्योंकि जमाना मोबाइल का है।
दूसरी तरफ राजा वही जो राम जैसा हो वैसे इतनी मर्यादा मोदी जी में नामुमकिन है, ऐसे में मोदी और योगी के यूपी को लेकर कभी सोचा न होगा कि ऐसा होगा, वैसे आवारा पशु और आवारा लोग कभी भी पलट जाते हैं और जनता ऐसी है जो अब पूछती नही की चीनी कम है ज्यादा बल्कि चीनी टेबल पर रख देती है कि चीनी कम लोगे या ज्यादा।
अब ज्यादा लंबी नहीं बस चीनी कम से याद आया कि चीनी के बजाए गुड़ का प्रयोग करें चीनी कम हो ही नही सकती। चीनी से याद आया चीनी फिर आंख दिखाने के तक में है, अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री और अखिलेश यादव उप प्रधानमंत्री बन जाते है तब देश की बागडोर इन्हीं के हाथों में होगी।
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वैसे यह सोच रहा था तभी दिमाग ने हिलाया और कहा हिल गए हो क्या, बहुमत लाना है यह थोड़ी कि बहू मत लाना है, स्मृति ईरानी की यह बात अमेठी वाले सास भी कभी बहू थी की रील बहू को संसद लेकर नहीं गई।
पहली बार योगी और अयोध्या नही
प्रधानमंत्री ने अब तक चुनाव में उत्तर प्रदेश का नाम पीएम बनने से पहले लिया करते थे, कल एक बार भी नाम नहीं लिया, योगी धर्म भूल गए योगी का नाम नहीं लिया, यह मन में सवाल तो उठा लेकिन जो जीता वहीं सिकंदर यह मुहावरा सोच सोच प्लेट की तरह पलट गई की कही पलटू राम पलटी न मार जाएं, तभी दिमाग बोला बहुत कुछ सीक्रेट है मोदी के पास, योगी के पास सब मैनेज हो जायेगा वर्ना फिर वही होगा जो राम जी जाने… (लेखक- रमेश शुक्ला सफर, वरिष्ठ पत्रकार हैं)