डेली संवाद, जालंधर। JAI GURU DEV: बाबा जय गुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकांत (Baba Umakant Ji Maharaj) जी महाराज ने आज जालंधर के जेसी रिसोर्ट में आयोजित सत्संग और नामदान कार्यक्रम में सत्संग रूपी अमृत वर्षा की। इस दौरान बाबा उमाकांत जी ने नामदान भी दिया।
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बाबा उमाकांत जी महाराज जी ने कहा कि सत्संग मनुष्य के जीवन में उसी तरह से जरूरी है, जिस प्रकार बच्चों को मां के दूध की जरूरत होती है। आत्मा का परमात्मा से मिलन ही सत्संग है। मनुष्य शरीर एक मंदिर है उसमें शराब और मांस की गंदगी को डालकर गंदा न करो। मांसाहार करना यदि लोग छोड़ दें जीव हत्या स्वत: ही बंद हो जाएगी।
जालंधर के जेसी रिसोर्ट में आयोजित एक दिवसीय सत्संग और नामदान कार्यक्रम में पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से सत्संगियों ने हिस्सा लिया। सत्संगियों से संत उमाकांत महराज ने कहा कि मनुष्य का शरीर ही मात्र ऐसा है जो मालिक तक पहुंचा सकता है। प्राण निकलने के बाद शरीर मिट्टी हो जाता है। जैसे आदमी ने हर जगह मंदिर बना रखे हैं, उसी तरह शरीर भी मंदिर है। इसे मांस व मदिरा डालकर गंदा मत करो।
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उन्होंने कहा कि ऋषि, मुनि, पैगंबर समय-समय पर इसको लेकर मार्गदर्शन करते रहे हैं। मेहनत की कमाई से बरकत होती है। बाधा तो आती है, लेकिन गुरुदेव की कृपा से दूर हो जाती है। उन्होंने नशा मुक्ति और मांसाहार त्यागने का संकल्प दिलाया। कहा कि बहुत समय पहले बाबा जय गुरुदेव जी महाराज ने भविष्यवाणी की थीं। जो अब सत्य साबित होने वाली हैं। खिलाफ काम करने नाराज प्रकृति सजा देने के लिए तैयार है।
संत उमाकांत जी ने कहा कि नशा मुक्त एवं सदाचारी बनकर भगवान की प्रार्थना करें। जिससे सु:ख शांति मिलेगी। अगर नरक और चौरासी लाख योनि में भटकने से बचना है तो तो नशा छोड़ो, शाकाहारी बनो, अच्छे विचारों को अपनाओ, अच्छे मार्ग पर चलो, देश भक्ति में लगो, दूसरे की सेवा करो, गरीब, असहाय लोगों की मदद करो तब ही स्वर्ग को प्राप्ति हो सकती है।
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